रावल इंस्टिट्यूशंस में मनाया गया हिंदी दिवस

फरीदाबाद, 15 सितम्बर रावल इंस्टिट्यूशंस अपने छात्रों में राष्ट्र और राष्ट्र की भाषा और  संस्कृति की गरिमा को कायम रखने वाली संवेदनाओं को बनाएं रखने में हमेशा प्रयत्नशील रहा है। इसी प्रयत्न को आगे बढ़ाते हुए रावल इंस्टिट्यूशंस में हिंदी दिवस के कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुवात द्वीप प्रज्जवलन और सरस्वती वंदना से की गई ।

इंस्टिट्यूशंस में छात्रों के लिए कविता पाठ, भाषण और वाद विवाद प्रतियोगिताओ का आयोजन किया गया। छात्रों ने राष्ट्र भाषा हिंदी- देश का गौरव और सम्मान को कविताओं के माध्यम से प्रस्तुत किया। राष्ट्र भाषा हिंदी के महत्व पर भाषण प्रतियोगिता में छात्रों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। राष्ट्र भाषा हिंदी के प्रयोग के सकारात्मक और नकारात्मक पक्ष पर वाद विवाद प्रतियोगिता में छात्रों के पक्ष और विपक्ष समूहों ने चर्चा की। भाषण प्रतियोगिता में बीबीए द्वितीय वर्ष के युवराज एवं विशाल ने पहला और दूसरा स्थान प्राप्त किया।

वहीं काव्य प्रतियोगिता में एमबीए द्वितीय वर्ष  की रिद्धिमा और बीबीए प्रथम वर्ष की पायल ने पहला और दूसरा स्थान प्राप्त किया। वाद विवाद प्रतियोगिता में बीबीए द्वितीय वर्ष के युवराज, और बीबीए प्रथम वर्ष की वन्शिका एवं स्नेहा के समूह ने प्रथम स्थान प्राप्त किया । प्रतियोगिताओ के विजताओ को नकद पुरस्कार राशि और सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर श्री अनिल प्रताप सिंह, एडमिनिस्ट्रेटर रावल इंस्टिट्यूशंस, डॉ हमबीर सिंह निदेशक, रावल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी और डॉ भावना सयाल  डीन,रावल इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में रावल इंस्टिट्यूशंस के एडमिनिस्ट्रेटर श्री अनिल प्रताप  ने कहा कि “संस्कृत से संस्कृति हमारी, हिंदी से हिंदुस्तान हमारा ।

आज, हिंदी दिवस के इस शुभ दिन पर, हम यहां एक भाषा के रूप में हिंदी के मूल्यों और विविधीकरण को मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। हिंदी का महत्व काका कालेकर जैसे बहादुर पुरुषों के नेतृत्व में लंबे और व्यापक अभियानों में निहित है, जिन्होंने अपनी स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए बहुत त्याग किया।” डॉ हमबीर सिंह निदेशक, रावल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि  ‘हिंदी एक राष्ट्रभाषा के रूप में भारत को एक साथ रखता है और भारत की अखंडता और एकता को बनाए रखने के लिए सही समाधान साबित होता है, तो हम एक साथ कहें कि हमें हिंदी भाषी होने पर गर्व है।’

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