मध्य प्रदेश में आगामी विधान सभा चुनाव : कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ अपने अभियान शुरू किए

मध्य प्रदेश में आगामी विधान सभा चुनाव होने में 5 महीने का समय बचा है । इसको देखते हुए, कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ अपने अभियान शुरू कर दिए हैं। पिछले एक हफ्ते में, भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एम.पी.सी.सी.) के प्रमुख कमलनाथ पर कई आरोप लगाए हैं।

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सी.बी.आई.) ने शनिवार शाम को कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ 1984 के सिख-विरोधी दंगों के सिलसिले में चार्जशीट दायर की थी।

चार्जशीट में टाइटलर का नाम आने के तुरंत बाद, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वी.डी. शर्मा ने दंगो में कमलनाथ की भूमिका के बारे में एक बयान जारी किया और दावा किया कि सीबीआई जल्द ही श्री कमल नाथ के बारे में भी सच्चाई सामने लाएगी। उन्होंने कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार का मामला भी उठाया, जिन्हें 17 दिसंबर 2018 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1984 के सिख-विरोधी दंगों के सिलसिले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

कमलनाथ, जो कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और चुनाव अभियान के प्रमुख चेहरा है, उन्होंने इस बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि उनके खिलाफ कोई प्राथमिकी नहीं थी, और 1984 दंगो के मामले की जांच करने वाला आयोग, जो की भाजपा केंद्र सरकार द्वारा गठित किया गया था, उन्होंने ने भी उनको क्लीन चिट दे दिया था। सोमवार को उन्होंने दावा किया कि उनके 45 साल के राजनैतिक जीवन में उन पर कभी किसी ने उंगली नहीं उठाई, और वी. डी. शर्मा का बयान सिर्फ उनके अपने कुकर्मों पर पर्दा डालने के लिए दिया गया।

इसके जवाब में, भाजपा प्रदेश प्रमुख वी. डी. शर्मा ने एक और आरोप लगाया की मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के शासनकाल में, कमल नाथ, जो की केंद्रीय मंत्री थे, उन्होंने चीन के साथ मिली भगत की। यह जुबानी जंग मंगलवार को भी जारी रही, जिसमें कमलनाथ और वी. डी. शर्मा दोनों ने कहा की वे एक-दूसरे के “कद” पर नहीं हैं।

1984 के दंगों और चीन के साथ मिलीभगत में उनकी भागीदारी के अलावा, कमलनाथ की बढ़ती उम्र पर भी भाजपा हमला कर रही है। 76 साल की उम्र में 5 साल तक राज्य का नेतृत्व करने की उनकी क्षमता पर सवाल उठाया जा रहा है। इस सब से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान काफी समय तक दूर रहे, परन्तु ट्विटर के ज़रिये उन्होंने बुधवार को वी. दी. शर्मा के समर्थन में अपनी प्रतिक्रिया दी।

चुनावी रणनीतिकार और प्रसिद्ध चुनाव प्रबंधन कंपनी ‘लीडटेक’ के निर्देशक विवेक सिंह बागरी ने इस मुद्दे पर अपनी टिपण्णी की कि कैसे ये मुद्दा 2023 मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा या कांग्रेस को लाभ पहुंचा सकता है, और चुनाव परिणाम पर इसका किस तरह प्रभाव आ सकता है।

“किसी भी चुनाव में, इस तरह के आरोप साधारण हैं। लेकिन विधानसभा चुनाव जीतने के लिए आरोपों से ज़्यादा, सबसे महत्वपूर्ण राज्य नेतृत्व का मज़बूत होना ज़रूरी है। कांग्रेस की (कर्नाटक में) हालिए जीत ने पार्टी का आत्मविश्वास बढ़ाया है। लेकिन, अगर कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय कमलनाथ आने वाले दिनों में (सिख दंगों में) सी. बी. आई. जांच के घेरे में आते हैं, तो कांग्रेस के पास न तो इतना समय है, न ही उनके कद का कोई अन्य नेता जो उनकी जगह ले सकता है। कमलनाथ के नेतृत्व के बिना, कांग्रेस को सर्कार बनाना कठिन हो सकता है ,” कहते हैं विवेक सिंह बागरी, जो खुद मध्य प्रदेश के सतना ज़िले में पले बढ़े थे।

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