अभिनय कौशल एक योग है – ललित परिमू

श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों को अभिनय के गुर सिखा रहे हैं शक्तिमान धारावाहिक के 'डॉक्टर जयकाल'

फरीदाबाद । शक्तिमान धारावाहिक में ‘डॉक्टर जयकाल’ के नाम से मशहूर हुए बॉलीवुड एक्टर ललित परिमू युवाओं को अभिनय कौशल सिखा कर उनके व्यक्तित्व के विकास में लगे हैं। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में शुरू हुई पांच दिवसीय अभिनय योग कार्यशाला में 22 विद्यार्थी अभिनय कला के गुर सीख रहे हैं। ललित परिमू उनको व्यक्तित्व विकास एवं स्वयं के प्रकटीकरण की बारीकियां बता रहे हैं। विद्यार्थी अभिनय के साथ जुड़ कर काफी प्रफुल्लित महसूस कर रहे हैं।
ललित परिमू का कहना है कि अभिनय कौशल एक योग है। इसके माध्यम से व्यक्तित्व का विकास संभव है। यह एक थैरेपी भी है, जिससे अवसाद और मानसिक व्याधियों से मुक्ति पाई जा सकती है। ललित परिमू ने इस कार्यशाला में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि अभिनय में हम वह बनते हैं, जो हम वास्तव में नहीं होते हैं। खेल-खेल में हम कुछ और बन जाते हैं। हम अभिनय के माध्यम से खुद को एक्सप्रेस करना सीखते हैं। अपने भाव को बेहतर तरीके से प्रकट करना सीखते हैं। ललित परिमू ने कहा कि अभिनय एक रस है। इससे हमारे मस्तिष्क में अच्छे हार्मोन रिलीज होते हैं और हमें फील गुड होता है। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला में विद्यार्थियों को वृक्ष बनाना सिखाया जा रहा है, ताकि वह वृक्ष के भावों, संवेदनाओं और पीड़ा को अनुभूत कर सकें। इसके माध्यम से विद्यार्थी भाव भंगिमाएं सीख रहे हैं और उनको प्रकट कर रहे हैं। अभिनेता ललित परिमू ने बताया कि पर्यावरण पर आधारित उनका नाटक ‘ वसुधैव कुटुंबकम्’ है। विद्यार्थी कार्यशाला के समापन पर उसका प्रस्तुतिकरण करेंगे।
कार्यशाला में हिस्सा ले रहे समीर वशिष्ठ का कहना है कि हम यहां इमोशन, स्पीच, बॉडी लैंग्वेज से लेकर खुद को बेहतर ढंग से प्रस्तुत करने के गुर सीख रहे हैं। खुद को कैसे एक्सप्रेस करना है, यह हमारे वास्तविक जीवन में भी काम आएगा।
पुनीत दहिया ने बताया कि अभिनय योग सीखना अपने आप में रोमांचक है। पहले हम अपनी बात को इतने प्रभावी तरीके से नहीं कह सकते थे, लेकिन कार्यशाला में यह सब पता चला। धर्मेंद्र ने बताया कि बोलने के तरीके कितने बेहतर हो सकते हैं और हमारी भाव भंगिमाएं उन्हें कितना महत्वपूर्ण बना सकती हैं, यह सब ललित परिमू की कार्यशाला में आकर पता चला। विद्यार्थी जतिन ने कहा कि इस कार्यशाला में हमारा सोया हुआ टैलेंट जाग रहा है। हमारे भीतर एक नया आत्मविश्वास जागा है। विद्यार्थियों ने इस कार्यशाला के आयोजन के लिए कुलपति डॉ. राज नेहरू, अकादमिक अधिष्ठाता प्रोफेसर आर एस राठौड़, विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डीके गंजू, समन्वयक डॉ. भावना रूपराय और संगीत शिक्षक डॉ. राजकुमार तेवतिया का आभार ज्ञापित किया।

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