अक्षय तृतीया के मौके पर रखें पैनी नजर, बाल विवाह की सूचना पुलिस-प्रशासन को दें तुरंत

- अतिरिक्त उपायुक्त की अध्यक्षता में अक्षय तृतीया के अवसर पर बाल विवाह की संभावना की रोकथाम की समीक्षात्मक बैठक संपन्न

फरीदाबाद, 09 मई। अतिरिक्त उपायुक्त डॉ. आनंद शर्मा ने कहा कि बाल विवाह गैर-कानूनी है, जिसे रोकने के लिए एकजुट प्रयासों की आवश्यकता रहती है। अक्षय तृतीया के मौके पर बाल विवाह आयोजनों की संभावनाएं रहती हैं, जिन पर पूर्ण अंकुश लगाना होगा। इसके लिए संबंधित अधिकारी-कर्मचारी पैनी नजर रखें। किसी भी स्थिति में बाल विवाह नहीं होना चाहिए।

गुरुवार को लघु सचिवालय में अक्षय तृतीया पर बाल विवाह को लेकर तथा पोषण अभियान की संयुक्त बैठक आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता अतिरिक्त उपायुक्त डॉ. आनंद शर्मा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बाल विवाह उचित नहीं है। नन्ही-सी उम्र में ही यदि विवाह होता है तो बच्चों का भविष्य दांव पर लग जाता है। निर्धारित आयु सीमा पूर्ण होने पर ही विवाह करना चाहिए। इसके लिए कानून विद्यमान है, किंतु फिर भी कुछ लोग बाल विवाह की ओर कदम बढ़ा देते हैं। ऐसे लोगों पर कानूनी शिकंजा कसा जाना जरूरी है, ताकि इस सामाजिक कुरीति पर लगाम लगाई जा सके।

अतिरिक्त उपायुक्त डॉ. आनंद शर्मा ने महिला एवं बाल विकास विभाग तथा बाल संरक्षण इकाई और जिला बाल कल्याण अधिकारी इत्यादि को अक्षय तृतीया के मौके पर फील्ड में रहकर चहुंओर निगरानी करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि विभिन्न गैर-सरकारी स्वयंसेवी संगठनों की सहायता से जानकारी जुटाएं। सहयोगी संस्थाओं और व्यक्तियों से भी जानकारी लें कि कहीं पर कोई बाल विवाह की तैयारी तो नहीं है। अगर कहीं भी कोई भी इस प्रकार की सूचना मिलती है तो तुरंत प्रभाव से कार्रवाई की जाए, जिसके लिए प्रशासन की ओर से पुलिस बल सहित हर प्रकार का पूर्ण सहयोग दिया जाएगा।

इस दौरान अतिरिक्त उपायुक्त ने पोषण अभियान को लेकर भी गंभीरता से चर्चा की। उन्होंने कहा कि कुपोषण को मिटाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। इसके लिए नियमित तौर पर बैठक का आयोजन कर योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ें।


अतिरिक्त उपायुक्त डॉ. आनंद शर्मा ने पोषण अभियान के अंतर्गत पोषण ट्रैकर पर राशन ले रहे लाभार्थियों का डाटा साझा किया गया। उन्होंने मीटिंग में आये सभी अधिकारियों को जिला में माह अप्रैल में आंगनवाड़ी के लाभार्थी में पाए गए अति कुपोषित बच्चों पर ज्यादा ध्यान देते हुए उनकी चिकित्सा जांच करने बारे आदेश दिए तथा इन बच्चों का पोषण का स्तर बढ़ाने बारे आदेश दिए गए। 
 
महिला एवं बाल विकास विभाग, जिला कार्यक्रम अधिकारी, डॉ मंजू श्योराण ने बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के विषय में जानकारी दी तथा उन्होंने बताया की 10 मई को अक्षय तृतीया है, इस दिन बाल विवाह अधिक संख्या में होते है। जोकि एक दंडनीय अपराध है। जिला कार्यक्रम अधिकारी, डॉ मंजू श्योराण ने बताया कि जागरूकता कार्यक्रम ब्लाक स्तर एवं पंचायत स्तर पर किये जायेंगे ताकि बाल विवाह जैसी कुरीति पर रोकथाम लगाई जा सके। पीड़ित महिला अपनी समस्या के समाधान के लिए वन स्टॉप सेंटर में महिला हेल्पलाइन 181 पर संपर्क कर सकती है या स्वयं भी आ सकती है।

बाल विवाह निषेध अधिकारी हेमा कौशिक ने बताया कि इस प्रकार की शादी गैर कानूनी व अमान्य मानी जाती हैं। ऐसा कोई भी व्यक्ति जो बाल विवाह करवाता है, उसको बढ़ावा देता है या करने में उसकी किसी भी प्रकार से सहायता करता है उसे 2 साल तक की कैद या 1 लाख तक का जुर्माना हो सकता है। उन्होंने आगे बताया कि जिला में बाल विवाह की सूचना विभाग के कार्यालय या हेल्पलाइन नंबर 181, 112 और 1098 पर दे सकते है।

जिला बाल संरक्षण अधिकारी श्रीमती गरिमा ने बाल संरक्षण की जानकारी देते हुए बताया कि यौन अपराधों से बालकों को कैसे संरक्षण करे व पॉक्सो कानून में ऐसे अपराधों के लिए अपराधियों को उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा व जुर्माना का भी प्रावधान है। उन्होंने बताया कि कोई भी ऐसा बच्चा जिसे देखरेख व संरक्षण की जरूरत है इस प्रकार की जानकारी हेल्पलाइन नंबर 112 पर जानकारी दे सकते है।

इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी, पोषण अभियान स्टाफ, बाल संरक्षण समिति, शिक्षा विभाग, जिला बाल संरक्षण अधिकारी व सुपरवाइजर भी उपस्थित रहे।

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