बिना जल के जन जीवन ही संभव नहीं : जस्टिस आदर्श गोयल
भूजल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के बारे में कार्यशाला हुई आयोजित
फरीदाबाद, 24 जून। पानी के बिना जीवन सूना है, बिना जल के जन जीवन ही संभव नहीं है। फरीदाबाद भूजल क्षेत्र के रेड जोन में आ गया है। इसलिए पीने के पानी का केवल पीने के लिए ही इस्तेमाल करें। इसके लिए आमजन को भागीदार बना कर ही सरकार, समाज,न्यायपालिका बेहतर कार्य कर सकते है। यह बात एनजीटी के चेयरमैन कम सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व जस्टिस आदर्श गोयल ने आज शनिवार को एनआईटी- 3 के डीएवी कॉलेज के कांफ्रेंस हाल में भारतीय संस्थान इंडिया फाउंडेशन व लघु संस्थान द्वारा आयोजित भूजल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के बारे में आयोजित कार्यशाला में उपस्थित शहर प्रबुद्ध लोगों को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि एनसीआर क्षेत्र में पानी की जरूरत दिन-प्रतिदिन जन जनसंख्या के हिसाब से बढ़ती जा रही है और वर्तमान में इसके संरक्षण के बारे में चिंतन शालाएँ करना जरूरी है। आदर्श गोयल ने कहा कि चिन्तनशाला में धरातल से जुड़ी हुई सरकारी और गैर सरकारी बातें आगे आ गई है। बेहतर काम करोगे तो समस्याएं भी आती है, उसका समाधान भी होता हैं। हम सबको मिलकर भूजल संरक्षण के समाधान के बारे में कार्य करना है। जस्टिस आदर्श गोयल ने बताया कि एक सर्वे के अनुसार देश में कुल मीठे पानी की उपलब्धता में से 70 प्रतिशत पानी खेती के लिए इस्तेमाल हो रहा है। वहीं 20 प्रतिशत पानी व्यर्थ जा रहा है। जबकि 10 प्रतिशत पानी का ही घरेलू उपयोग के लिए सही सदुपयोग हो रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के लिए पानी की जरूरत उसकी उपलब्धता के अनुसार हमें चिंतन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक साधनों को बचाना है, तो जीवन शैली में परिवर्तन लाना होगा। वहीं जीवन शैली के दृष्टिकोण में भी परिवर्तन लाना होगा। उन्होंने कहा कि शहरों में गार्बेज और उसके नियन्त्रण में बहुत बड़ा गैप है।
गार्बेज और उसके नियंत्रण पर केंद्र सरकार द्वारा देश में लगभग 80000 करोड़ रुपये की धनराशि रुपए सरकार द्वारा खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी गार्बेज का सही रूप से निपटान नहीं किया जा रहा है। उन्होंने पानी की उपलब्धता पर बोलते हुए कहा कि एनसीआर में 1380 मिलियन गैलन लीटर पानी प्रतिदिन चाहिए जबकि इसकी उपलब्धता 1000 मिलियन गैलरी लीटर है। इसके प्रोसेसिंग नियंत्रण के लिए सरकार और उद्योगपति बेहतर सेवाएं प्रदान कर सकते हैं सरकार को इसका मापदंड निर्धारण निर्धारित करना चाहिए। भूजल संरक्षण के लिए अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करना चाहिए। छात्रों की कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और स्कूलों में सांसद कोर्ट के कार्य लागू करने चाहिए। कानून के क्रियान्वयन के लिए समाज में गैप को भी दूर करना चाहिए। जन अभियान चलाना चाहिए। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए मानव रचना यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ प्रशांत बल्ला ने कहा कि जल संरक्षण बहुत ही बेहतर तरीके से किया जाना चाहिए। अटल भूजल जल संरक्षण सहित अन्य क्षेत्रों में भी जल संरक्षण के लिए मानव रचना विश्वविद्यालय अपना कार्य कर रहा है। केंद्रीय भूजल बोर्ड के सदस्य टीवीएस सिंह ने कहा कि फरीदाबाद में दिन प्रतिदिन भूजल गिरता जा रहा है।
हमारी जनसंख्या बढ़ती जा रही है। एनसीआर में लगभग 2 करोड के लगभग जनसंख्या हो गई है इसके आने वाली पीढिय़ों के लिए हमें जल संरक्षण करने की चिंतन करने की बहुत जरूरत है। गुरुग्राम के विधायक सुधीर सिंगला ने कहा कि सरकार द्वारा एसटीपी बनाकर पानी की रिसाइकिलिंग की जा रही है ।उन्होंने गुरुग्राम का जिक्र करते हुए का के गुरुग्राम में एसटीपी के जरिए हर पार्क में पानी की रीसाइक्लिंग की जा रही है। विधायक सीमा त्रिखा ने कहा कि ग्रीन ट्रिब्यूनल की हिदायतों के अनुसार प्रशासनिक तौर पर सरकार की पर्यावरण और जल संरक्षण के लिए अनेक योजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है। उन्होंने बडख़ल विधानसभा क्षेत्र के प्रत्येक वार्ड में एसटीपी बनाने का कार्य किया जा रहा है। वही एटीडब्लू ऑल टाइम वाटर होने चाहिए के बारे में चर्चा की कार्यशाला में चर्चा होनी चाहिए। प्रत्येक वार्डों में यदि बड़ी-बड़ी संस्थाएं एसटीपी और एटीडब्ल्यू को गोद ले ले तो निश्चित तौर पर आने वाली पीढ़ी के लिए पानी का संरक्षण किया जा सकता है। इस मौके पर केंद्रीय भूजल बोर्ड के सदस्य टीवीएस सिंह, विधायक नरेंद्र गुप्ता, भारत सेवा प्रतिष्ठान के श्री कृष्ण, राकेश गुप्ता, अरुण वालिया, जयकिशन, डॉक्टर बालकिशन, संजय कटियाल, दीपक अग्रवाल, राजकुमार टिकरी, एसके तोमर, एमसी गुप्ता, डीएवी कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ सविता भगत ने भी अपने सुझाव कार्यशाला में दिए। कार्यशाला में शहर के कई उद्योगपति व जल संरक्षण के प्रबुद्ध वर्ग के लोग उपस्थित रहे।