दिल्ली की हवा लगातार छठे दिन बेहद खराब, 2 जगहों पर AQI 400 पार
दिल्ली की हवा शुक्रवार सुबह लगातार छठे दिन बेहद खराब कैटेगरी में रही। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार सुबह 8 बजे औसत AQI 331 था।
सिर्फ दिल्ली के बवाना और मुंडका में AQI 400 पार दर्ज किया गया। हालांकि, 37 मॉनिटरिंग स्टेशंस में से 22 जगह AQI 400 के नीचे दर्ज हुआ।
दिल्ली में प्रदूषण के कारण विजिबिलिटी घटी। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर विजिबिलिटी घटकर 1100 मीटर रह गई।
इससे फ्लाइट ऑपरेशंस दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हालांकि, किसी भी फ्लाइट के लेट होने की अभी तक सूचना नहीं मिली है।
एयर क्वालिटी मैनेजमेंट के लिए केंद्र के डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (DSS) ने अनुमान जताया कि 21.6% प्रदूषण गाड़ियों से निकलने वाले धुएं की वजह से था। DSS गाड़ियों से निकले धुंए के लिए रोज अनुमान जारी करता है।
दिल्ली में प्रदूषण की वजह पड़ोसी राज्यों में जलाए जा रहे पराली भी है। उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की 103, पंजाब में 34 और हरियाणा में 7 घटनाएं सामने आईं। हालांकि, सैटेलाइट डेटा के अनुसार 15 सितंबर से 28 नवंबर के बीच पंजाब में पराली जलाने की 10,855, हरियाणा में 1380 और उत्तर प्रदेश में 5554 घटनाएं दर्ज की गईं।
सुप्रीम कोर्ट बोला- 2 दिसंबर तक लागू रहेगा GRAP-4
दिल्ली में प्रदूषण को लेकर 28 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में सभी GRAP-4 उपाय 2 दिसंबर तक लागू रहेंगे। हालांकि स्कूलों के लिए बनाए गए नियमों में छूट दी जा सकती है।
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जस्टिस अभय ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा – कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट से पता चलता है कि अधिकारी प्रतिबंधों का पालन करवाने में फेल रहे हैं। इसमें गंभीर चूक करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई तेजी से होनी चाहिए।
सर्वाधिक प्रदूषित 50 शहरों में 42 भारत के, 87 करोड़ लोगों की सेहत खतरे में
दुनिया के सबसे प्रदूषित 50 शहरों में 42 भारत के हैं। इनमें से अधिकांश उत्तर भारत के हैं। विशेषज्ञ इस प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह पराली जलाना और निर्माण कार्य को मानते हैं।
इस प्रदूषण के चलते देश की 87 करोड़ आबादी की सेहत खतरे में रहती है। सर्दियों में पीक दिनों के दौरान भारत में हवा में प्रदूषण की मात्रा WHO के मानक से 100 गुना अधिक रहती है।
केंद्र ने 2019 में नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम लॉन्च किया। मकसद 131 शहरों में हवा की गुणवत्ता में सुधार लाना था। वहीं, क्लाइमेट ट्रेंड संस्था का विश्लेषण है कि 114 शहरों में हवा और ज्यादा खराब हो गई।
चीन ने ओलिंपिक के समय जंग शुरू की: 1998 में चीन का बीजिंग शहर प्रदूषित हवा के लिए कुख्यात था। यहां 2008 में ओलिंपिक हुए। चीन ने सड़कों से 3 लाख वाहन हटाए। निर्माण रोके। असर- हवा की गुणवत्ता 30% सुधरी। गेम्स के बाद प्रतिबंधों में ढील दी तो प्रदूषण फिर बढ़ा। 2013 में सरकार ने आबादी वाले इलाकों से कारखाने हटाए। कृषि अपशिष्ट जलाने से रोकने के लिए सब्सिडी दी।
2. लंदन 1952 के ग्रेट स्मॉग से बाहर निकला: लंदन को 1952 के आखिर में ग्रेट स्मॉग ने प्रदूषण की गहरी मोटी जहरीली परत से ढंक दिया। इसके बाद प्रदूषण नियंत्रण के सख्त कदम उठाए गए। हवा की गुणवत्ता सुधरी। 2008 में लो एमिशन जोन व2019 में अल्ट्रा लो एमिशन जोन बनाए गए।डीजल-पेट्रोल के वाहनों पर प्रतिबंध। मालवाहक ट्रक सिर्फ रात में डिलीवरी करते हैं।
3. न्यूयॉर्क व लॉस एंजिल्स धुएं से ढंक गए थे: अमेरिका में लॉस एंजिल्स व न्यूयॉर्क को 60-70 के दशक में कार, बिजली घर व लैंडफिल साइट के धुएंने ढंक दिया। फिर प्रदूषण नियंत्रण के प्रयास हुए।1970 के दशक की शुरुआत से कारखाने, कार, बिजली संयंत्रों के लिए सख्त नियम बने। जंगलों की आग पर काबू पाया गया।