ऑनलाइन शिक्षा में चुनौतियों एवं सम्भावनाओं पर कॉलेज विद्या ने किया रिपोर्ट जारी

ऑनलाइन शिक्षा के अवसरों को सुगमता से जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध संस्था कॉलेज विद्या ने “द डिजिटल एजुकेशन फ्रंटियर” नामक एक रिपोर्ट जारी की। यह रिपोर्ट विद्यार्थियों एवं कामकाजी व्यक्तियों के बीच ऑनलाइन शिक्षा के व्यापक प्रचार-प्रसार एवं उनके बीच शिक्षा के इस नवीन स्वरूप की स्वीकार्यता के अध्ययन पर आधारित है। यह रिपोर्ट ऑनलाइन शिक्षा के फायदे, चुनौतियां एवं जन सामान्य में इसके विभिन्न आयामों के प्रति समझ पर आधारित है। इन तमाम पहलुओं के साथ-साथ इस अध्ययन में ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से पठन-पाठन के बदलते स्वरूप की भी चर्चा की गई है।

इस अध्ययन में शामिल 5000 से भी अधिक प्रतिभागियों के अनुसार ऑनलाइन शिक्षा के दो सबसे महत्वपूर्ण फायदे भौगोलिक सीमाओं का खत्म होना एवं समय की बचत है। लगभग 82% विद्यार्थियों एवं 66.2% कामकाजी व्यक्तियों ने अपनी सुविधा अनुसार किसी भी समय एवं किसी भी स्थान से पढ़ाई कर पाने के अवसर की सराहना की है। वही 81% विद्यार्थियों एवं 71.01% कामकाजी व्यक्तियों ने ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से समय के बेहतर प्रबंधन को वरीयता दी। ऑनलाइन शिक्षा के अन्य फायदों में इसकी सामान्य लागत (69% विद्यार्थियों एवं 51.9% कामकाजी व्यक्तियों के द्वारा स्वीकृति), सुविधाजनक उपस्थिति के मानक एवं शिक्षा के वैश्विक संसाधनों तक सुलभता से पहुँच शामिल है।

98% विद्यार्थियों एवं 97% कामकाजी व्यक्तियों ने वर्तमान परिवेश में ऑनलाइन शिक्षा की मौजूदगी को स्वीकार किया। हालांकि इनमें से केवल 53% विद्यार्थियों एवं 46.6% कामकाजी व्यक्तियों ने ही ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण की। ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से सबसे अधिक स्वीकृति ऑनलाइन सर्टिफिकेट की रही जिसकी पुष्टि 93% विद्यार्थियों एवं 85.7% कामकाजी व्यक्तियों ने की। इसके बाद क्रमशः डिप्लोमा और डिग्री का स्थान रहा।

कामकाजी व्यक्तियों ने ऑनलाइन शिक्षा की बढ़ती महत्व को स्वीकार किया। उनमें से करीबन 67.53% व्यक्तियों का मानना है कि ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से रोजगार के बेहतर अवसर प्राप्त हो सकते हैं। 38.96% व्यक्तियों ने यह भी स्वीकार किया कि इसके माध्यम से प्रोन्नति और मानदेय में वृद्धि सम्भव है। 66.23% लोगों ने दूर-दराज के क्षेत्रों से भी शिक्षा पूरी कर पाने की सुविधा को महत्वपूर्ण बताया।

कॉलेज विद्या के सीओओ रोहित गुप्ता ने कहा , “शिक्षा का भविष्य निसंदेह डिजिटल संसाधनों एवं तकनीक पर निर्भर होने वाला है लेकिन फिर भी इसे सभी व्यक्ति तक पहुंचाने एवं इसकी स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए कई चुनौतियों को पार करने की आवश्यकता है। हमारे अध्ययन का मुख्य उद्देश्य ऑनलाइन शिक्षा के महत्व को प्रतिस्थापित करना के साथ-साथ विद्यार्थियों एवं कामकाजी व्यक्तियों के बीच इसके अवसरों की समझ विकसित करना है। हमारा मानना है कि उचित प्रयासों के माध्यम से हम ऑनलाइन शिक्षा की गुणवत्ता और स्वीकार्यता पूरे देश में बढ़ा सकते हैं।”

ऑनलाइन शिक्षा की तमाम खूबियों के बावजूद हमारे सामने कई प्रकार की चुनौतियां हैं। हमारे अध्ययन में अधिकतर प्रतिभागी टियर 1 एवं टियर 2 शहरों के थे जहां अभी भी तकनीक एवं इंटरनेट की बाध्यताएं हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह स्थिति और भी दयनीय है। मोबाइल और इंटरनेट की अनुपलब्धता के साथ-साथ ऑनलाइन शिक्षा की राह में अन्य कई चुनौतियां हैं। 70% विद्यार्थियों एवं 58.4% कामकाजी व्यक्तियों ने माना कि अप्रत्यक्ष रूप से दी गई शिक्षा प्रभावी नहीं होती एवं इसमें प्रायोगिक दक्षता के लिए कोई स्थान नहीं रह जाता। ऑनलाइन शिक्षा के प्रमाण पत्रों की स्वीकार्यता भी सन्देहास्पद रही है। कई प्रतिभागियों को लगता है कि पारंपरिक रूप से मिलने वाले डिग्री की महत्ता ऑनलाइन शिक्षा के प्रमाण पत्रों से ज्यादा है।

इन तमाम चुनौतियों के परे इस अध्ययन में यह बात स्पष्ट हो जाती है कि ऑनलाइन शिक्षा का भविष्य बहुत है उज्जवल है। 69% विद्यार्थियों एवं 68% तक कामकाजी व्यक्तियों ने आगामी भविष्य में ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से पठन-पाठन में अपनी अभिरुचि दिखाई। सही दिशा में सार्थक कदम बढ़ाते हुए हम ऑनलाइन शिक्षा के विभिन्न आयामों को मजबूत कर सकते हैं एवं साथ ही जन सामान्य में उसके स्वीकार्यता भी बढ़ा सकते हैं। डिजिटल संसाधनों को लोगों तक पहुंचाते हुए हम उन्हें पठन-पाठन का एक नया अनुभव दे सकते हैं।

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