गलती का प्रायश्चित करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी असफल नहीं हो सकता : आर्यवेश
फरीदाबाद : गलत मानसिकता के चलते जिन विचारों के आधार पर भारतवर्ष टूटने लगा भारतवर्ष को जाति-पाति, छूत-अछूत, ऊंच-नीच में बांटने का प्रयास किया गया तब महर्षि दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की। आर्य समाज हमेशा समाज को जोडऩे के लिए कार्य करता है यह बात सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के पूर्व प्रधान आर्य नेता स्वामी आर्यवेश ने आय समाज सैक्टर-19 के वार्षिकोत्सव के तीसरे दिन भीम बस्ती अंबेडकर पार्क में यज्ञ और यज्ञोपवित संस्कार के बाद लोगों को संबोधित करते हुए कही।
आर्य समाज सैक्टर-19 के प्रधान डा. गजराज सिंह आर्य, भीम बस्ती के पुनीत गौतम, नेत्रपाल तथा त्रिवेदी ने स्वामी आर्यवेश का स्वागत किया। स्वामी आर्यवेश ने कहा कि भारत में महिलाओं को यज्ञ न करने, यज्ञोपवित संस्कारों में भाग न लेने, गायत्री मंत्र का जाप न करने देने तथा महिलाओं की सती प्रथा को समाप्त करने के लिए आर्य समाज ने विशाल आंदोलन खड़ा किया और वह सफल भी रहे।
उन्होंने कहा कि राजा राम मोहन राय ने बंगाल में सती प्रथा के खिलाफ अभियान चलाया तथा 1829 में बंगाल सरकार ने सती प्रथा के विरूद्ध कानून बनाया। लेकिन राजस्थान के देवराला में भी इसी प्रकार की घटना घटित हुई और आर्य समाज ने लोगों को जागरूक कर सरकार को विवश कर दिया कि सती प्रथा के विरूद्ध कडा कानून बनाया जाए तब भारत सरकार ने 1987 में सती प्रथा केे खिलाफ कड़ा कानून बनाया। यह आर्य समाज की बहुत बड़ी उपलब्धि है।
उन्होंने आर्य समाज सैक्टर-19 की सराहना करते हुए कहा कि अब आर्य समाज भवनों से निकलकर कालोनी और बस्तियों में लोगों को वेदों की ओर चलने के लिए प्रेरित कर रहा है तभी हम सुखी और संपन्न बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि गलती का प्रायश्चित करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी असफल नहीं हो सकता। इसलिए गलती के बाद व्यक्ति को प्रायश्चित कर मन और मस्तिष्क दोनों को शांत कर लेना चाहिए। इससे पूर्व आचार्य वरूण देव जोधपुर तथा पंडित योगेश दत्त आर्य ने भी अपने विचार प्रकट किए। इस अवसर पर अशोक आर्य, डा. ओ.पी.वधवा, लोकनाथ क्वात्रा, विमला ग्रोवर सहित शहर के अन्य लोग उपस्थित थे।