बिहार में ऑनलाइन शिक्षा में तेजी से आया उछाल, यह आंकड़ा 6% से बढ़कर 10% पहुंचा – कॉलेज विद्या
• 10% ऑनलाइन शिक्षार्थियों में 46% वर्किंग प्रोफेशनल्स और 54% फुल-टाइम स्टूडेंट्स हैं
• कुछ सरकारी प्रोग्राम्स ने बिहार में ऑनलाइन शिक्षा के लिए रास्ता तैयार किया है
दिल्ली, 16 सितंबर 2024: बिहार आमतौर पर इसकी सार्वजनिक शिक्षा में आने वाली चुनौतियों के लिए मशहूर है लेकिन अब यह देश में ऑनलाइन लर्निंग में योगदान देने वाले सबसे बड़े राज्य के रूप में उभरा है। ऑनलाइन लर्निंग के विकल्पों के बारे में जानकारी देने वाले एकमात्र समाधान के रूप में, कॉलेज विद्या द्वारा कराए गए एक अध्ययन में बताया गया है कि 2024 में बिहार अब ऑनलाइन लर्नर्स की कुल संख्या में 10% का योगदान देने वाला राज्य बन गया है और इसमें 2023 के 6% के आंकड़े से वृद्धि दर्ज की गई है।
पिछले पांच वर्षों में ऑनलाइन शिक्षार्थियों की संख्या में 40% का उछाल आया है, जोकि बड़े पैमाने पर डिजिटल शिक्षा की तरफ बढ़ने का संकेत देता है। यह वृद्धि राज्य के स्टूडेंट्स में ऑनलाइन एमबीए, बीबीए, एमसीए, बीसीए, बीकॉम और बीए प्रोग्राम्स को लेकर बढ़ती लोकप्रियता की वजह से हुई है। प्रति सेमेस्टर लगभग 21,380 रुपए, वार्षिक शुल्क 38,238 रुपए के साथ इन पाठ्यक्रमों के शुल्क अलग-अलग हैं और कुल भुगतान 1,19,819 रुपए तक पहुंच जाता है। इस अध्ययन में ये बात भी सामने आई है कि बिहार में काफी संख्या में शिक्षार्थी डिग्री प्रोग्राम कर रहे हैं। 80% से भी ज्यादा शिक्षार्थी, शॉर्ट-टर्म सर्टिफिकेशन की तुलना में इन पाठ्यक्रमों से जुड़े हुए हैं।
बेहतर विश्वविद्यालयों की कमी, अपर्याप्त शैक्षणिक ढांचों और पैसे की कमी की वजह से पटना, मुजफ्फरपुर, गया, आरा और अररिया में शिक्षार्थी (46% वर्किंग और 54% फुल-टाइम स्टूडेंट्स) ऑनलाइन पाठ्यक्रमों का रुख कर रहे हैं। 15-20 वर्ष के 34%, 21-25 वर्ष 36% और 26-35 वर्ष 25% के साथ औसत आयु में फर्क नजर आता है। महिला और पुरुष का अनुपात 73:27 के साथ जेंडर का अनुपात भी एक अलग ही तस्वीर पेश करता है, जोकि बाकी राज्यों की तुलना में अलग है।
कॉलेज विद्या के प्रवक्ता ने कहा, “बिहार में ऑनलाइन शिक्षा में तेजी से वृद्धि हो रही है, हम एक बहुत बड़ा बदलाव देख रहे हैं कि राज्य में शिक्षा की पहुंच कैसी है और उसे कैसे पूरा किया जाता है। ऑनलाइन शिक्षार्थियों की बढ़ती संख्या बिहार के स्टूडेंट्स की दृढ़ता और लचीलेपन को दर्शाता है। ढांचागत चुनौतियों के बावजूद ज्ञान को लेकर उनकी खोज का इससे पता चलता है। इतनी वृद्धि शैक्षणिक अंतर को भरने में ऑनलाइन शिक्षा की अहम भूमिका है और राज्यभर में शिक्षार्थियों को मिल रहे अवसरों की जानकारी देता है।’’
वे आगे कहते हैं, “हमारे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने देशभर में स्टूडेंट्स को अपना पसंदा कॉलेज चुनने का टूल उपलब्ध करा कर शिक्षा को सब तक पहुंचाने में हलचल मचाई है। आयुष कुमार सिंह द्वारा कॉलेज का सफल चुनाव, बजट का विस्तृत तुलानात्मक विवरण, करिकुलम, रेटिंग, परीक्षा के पैटर्न और सुविधाओं की जानकारी इसका प्रमाण है। हमारा फीचर स्टूडेंट्स को पूर्व छात्रों से जोड़ता है जोकि उन्हें निर्णय लेने में मदद करते हैं। हम अभी भी ज्यादा से ज्यादा छात्र-केंद्रित फीचर्स तैयार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जिससे हर भारतीय पढ़ाई करने का अपना सपना पूरा कर पाए।’’
विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए टेली-एजुकेशन सिस्टम (सीडब्ल्यूएसएन), विद्यावाहिनी बिहार ऐप, मेरा मोबाइल मेरा विद्यालय और उन्नयन बिहार जैसी सरकारी पहल ने राज्य में ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। ये कार्यक्रम बिहार में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में समग्र वृद्धि करने में सहयोगी रहे हैं, जो 2021-22 शैक्षणिक वर्ष में बढ़कर 17.1% पहुंच गया।