शक्तिशाली लेकिन विनम्र देवता हैं वक्रतुण्ड गणेश : स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य
श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम में धूमधाम के साथ मनाई गई श्री गणेश चतुर्थी
फरीदाबाद। देवताओं में सर्वप्रथम पूज्य गणेश को समस्त देवगण भी प्रणाम करते हैं क्योंकि वह शक्तिशाली होने के साथ साथ विनम्र भी हैं। इसके साथ साथ वह बुद्धिमान भी हैं। यह बात जगदगुरु स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने भक्तों के बीच कही। वह श्री गणेश चतुर्थी के अवसर पर श्री लक्ष्मीनारायण दिव्यधाम श्री सिद्धदाता आश्रम में आयोजित समारोह में संबोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य ने कहा कि हम सभी भगवान गणेश के जन्मदिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाते हैं। उन्हें प्रथम पूज्य देव माना गया है इसलिए किसी भी कार्य को करने से पहले गणपति के पूजन का विधान रखा गया है। स्वामीजी ने कहा कि गणपति सभी गणों के राजा हैं और सभी विघ्नों को दूर करने वाले हैं। उन्हें बुद्धि का भी देवता माना गया है।
स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य महाराज ने भगवान का सविधि पूजन कर आए भक्तों को प्रसाद एवं आशीर्वाद प्रदान किया। उन्होंने सभी को संदेश दिया कि वह गणेशजी के शरीर से भी शिक्षाएं प्राप्त करें। उनकी लंबी सूंड सिखाती है कि कहां क्या हो रहा है, बड़े बड़े कान कहते हैं कि छोटी से छोटी बात भी छूट न जाए, उनका बड़ा पेट बातों को पचाना सिखाता है लेकिन विशाल शरीर होने के बावजूद छोटी आंखें यह कहती हैं कि अपनी ताकत का अहंकार नहीं होना चाहिए।
इंसान को हमेशा विनम्र रहने का प्रयास करना चाहिए। उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद है कि जो मनुष्य किसी भी कार्य को आरम्भ करने से पहले गणेश जी की स्तुति करेगा, उसे किसी प्रकार की बाधा का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस अवसर पर हजारों की संख्या में पहुंचे भक्तों ने गणपति बाबा के पूजन में भागीदारी की और प्रसाद प्राप्त किया।