रत के पूर्व राष्ट्रपति माननीय श्री राम नाथ कोविन्द मानव रचना पधारे
-जस्टिस आरसी लाहोटी के कानूनी जगत में समृद्ध योगदान को समर्पित है लेक्चर सीरीज़
फरीदाबाद 11मईमानव रचना विश्वविद्यालय (एमआरयू) के स्कूल ऑफ लॉ की ओर से शनिवार को प्रतिष्ठित जस्टिस आरसी लाहोटी मेमोरियल लेक्चर सीरीज़ का आयोजन किया गया। माननीय जस्टिस आरसी लाहोटी की समृद्ध कानूनी विरासत की स्मृति में आयोजित हुए इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि भारत के पूर्व राष्ट्रपति माननीय श्री राम नाथ कोविन्द ने शोभा बढ़ाई, जबकि बतौर सम्मानित अतिथि भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश माननीय जस्टिस यूयू ललित शामिल हुए।
संस्थान में शुरू की गई इस लेक्चर सीरीज़ के जरिए जस्टिस आरसी लाहोटी की ओर से कानून के क्षेत्र में किए गए विशिष्ट कार्यों और योगदानों के बारे में युवाओं को जागरूक कर उन्हें सही मार्ग दिखाना है। भावी कानूनी पेशेवर जस्टिस आरसी लाहोटी के जीवन दर्शन, कानूनी फैसलों और मानवीय हितों के लिए किए गए कार्यों से प्रेरणा लेकर आगे बढ़ें और देश के विकास में सार्थक योगदान दे, यही इस लेक्चर सीरीज़ का उद्देश्य है।
कार्यक्रम की शुरुआत में स्वागत भाषण देते हुए एमआरयू के कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) दीपेंद्र कुमार झा ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि जस्टिस आरसी लाहोटी अपने नैतिकता और मूल्यों के जीवन संदेशों से छात्रों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं। जस्टिस आरसी लाहोटी ने मानव रचना विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ लॉ के लिए लॉ एडवाइजरी बोर्ड की स्थापना की, रतन लाल लाहोटी लाइब्रेरी ऑफ लॉ का उद्घाटन किया और रतन लाल लाहोटी गोल्ड मेडल की स्थापना की, जो सभी शैक्षणिक प्रेरणा के स्रोत और गर्व की बात है।
जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि भारत के 35 वें मुख्य न्यायाधीश और मानव रचना विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लॉ में सलाहकार बोर्ड के संस्थापक अध्यक्ष के तौर पर आरसी लाहोटी ने कानूनी परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी है। जस्टिस आरसी लाहोटी के जीवन से जुड़े अहम फैसलों के जरिए उनके जीवन के सार को सभी को सामने रखा। उन्होंने कहा कि जस्टिस लाहोटी ने जीवन में 342 से ज्यादा फैसले सुनाए और इन फैसलों में उनकी अदालती दलीलें न केवल न्याय प्रदान करने के लिए रही, बल्कि ऐसी मिसालें स्थापित करने के बारे में भी थी जो आने वाले वर्षों में पूरे समुदाय के लिए लागू हों।
माननीय श्री राम नाथ कोविन्द के अध्यक्षीय भाषण में जस्टिस आरसी लाहोटी के साथ हुई मुलाकातों के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि वे जिस किसी से भी मिलते से अमिट छाप छोड़ते थे। उन्होंने ऐसी शख्सियत पर लेक्चर सीरीज शुरू करने के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि शायद ही कभी हमें जस्टिस लाहोटी जैसे व्यक्ति मिलते हैं, जो न्यायिक स्वतंत्रता, अखंडता, अपने विचारों को व्यक्त करने में गहरी विनम्रता और कानून के शासन को बनाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने