टीबी (क्षयरोग) संक्रमण की बीमारी है जो खांसने, छींकने या बोलने के दौरान एक मरीज से दूसरे व्यक्ति में फैल जाती है: डॉ. पंकज छाबड़ा 

मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद से सांस एवं छाती रोग विभाग के प्रोग्राम क्लिनिकल डायरेक्टर डॉ. पंकज छाबड़ा के अनुसार, टीबी (क्षयरोग) संक्रमण की बीमारी है जो खांसने, छींकने या बोलने के दौरान एक मरीज से दूसरे व्यक्ति में फैल जाती है। ओपीडी में आये कई मरीजों में टीबी के इलाज से संबंधित डोज ठीक न होने की समस्या देखने को मिलती है इसलिए इस बैक्टीरिया के इलाज के दौरान एक्सपर्ट द्वारा मरीज के वजन के अनुसार डोज के ठीक होने का खास ख्याल रखा जाना चाहिए।

रोजाना 3-5 मरीज टीबी के आते हैं जिनमें फॉलो-अप करने वाले मरीज भी होते हैं। धूम्रपान, शराब का ज्यादा सेवन करने वाले, कमजोर इम्युनिटी वाले, एचआईवी, मधुमेह, किडनी की बीमारी या कमजोर लीवर के मरीजों में टीबी होने की आशंका ज्यादा होती है। टीबी शरीर में फेफड़ों के रास्ते प्रवेश करती है। सामान्य तौर पर 80 फीसदी टीबी फेफड़ें की होती है और 20 फीसदी शरीर के अन्य अंगों की होती है।

टीबी शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। यह दिमाग, पेट और बच्चादानी में भी हो सकती है। दिमाग और फेफडों में होने वाली टीबी ज्यादा गंभीर होती है क्योंकि इसमें रोगी की जान जाने की आशंका ज्यादा बढ़ जाती है। इसका उपचार विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत सरकार के द्वारा 6-9 महीने तय किया गया है। यह निर्भर करता है कि किस हिस्से में व्यक्ति को टीबी है। अगर फेफड़ों में टीबी पाई जाती है तो मरीज को 6 महीने का उपचार दिया जाता है। अगर टीबी दिमाग या रीढ़ की हड्डी में आ जाये तो 12-18 महीने के उपचार की सलाह दी जाती है। चिकित्सीय निर्देशों का सही ढंग से पालन करने पर इलाज होने की सम्भावना 95 फीसदी से ज्यादा बढ़ जाती है। लेकिन परेशानी उन रोगियों के साथ आती है जो इस उपचार को बीच में छोड़ देते हैं।

उन लोगों में यह टीबी बिगड़कर ‘मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट’ (एमडीआर) टीबी बन जाता है। एमडीआर एक ऐसी टीबी होती है जो सामान्य दवाओं से नियंत्रण में नहीं आती है। टीबी के 3-5 प्रतिशत मामलों में एमडीआर पाया जाता है। एमडीआर ज्यादातर उन लोगों को होता है जिन्हें पहले टीबी हुई है और उन्होंने इलाज के दौरान लापरवाही की है। इसके लिए 6 महीने का इलाज करने की सलाह दी जाती है। अगर किसी को एक बार एमडीआर टीबी हो जाये तो इसका इलाज बहुत ही कठिन और महँगा हो जाता है।

बचाव

• घर में अगर कोई टीबी का मरीज है तो घर के बाकी सदस्यों को भी अपना चेक-अप एवं इलाज कराना चाहिए क्योंकि टीबी अन्य लोगों में ज्यादातर मरीज के साथ रहने से फैलती है।

• नियमित व्यायाम, सुबह की सैर और संतुलित खानपान की मदद से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाये रखें।

• धूम्रपान एवं शराब के सेवन से बचें।

• शुगर लेवल को नियंत्रित रखें।

• किडनी की समस्या होने पर किडनी रोग विशेषज्ञ से मिलें।

• अगर दो हफ्ते से ज्यादा बुखार, खांसी है या बिना वजह शरीर का वजन कम हो रहा है तो जल्द ही टीबी की जाँच अवश्य कराएँ क्योंकि ये टीबी के मुख्य लक्षण हैं।

ध्यान दें : टीबी का इलाज संभव है लेकिन चिकित्सक द्वारा दिए उपचार संबंधी निर्देशों का सही ढंग से अनुसरण करना अत्यंत आवश्यक है।

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