बच्चों में होने वाले कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 15 फरवरी को ‘इंटरनेशनल चाइल्डहुड कैंसर डे’ मनाया जाता है। चाइल्डहुड कैंसर पर महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए डॉ. नीरज तेवतिया, सीनियर कंसल्टेंट-पीडियाट्रिक हेमेटो-ऑन्कोलॉजी और बोन मैरो ट्रांसप्लांट, मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल्स फरीदाबाद ने कहा कि 0-18 साल के उम्र के बच्चों में जब कैंसर होता है, इसे चाइल्डहुड कैंसर कहते हैं। बच्चों में कैंसर के इलाज को लेकर कुछ भ्रम भी हैं जैसे बच्चों के कैंसर लाइलाज हैं। आपको बता दें कि बच्चों में होने वाले कैंसर का इलाज संभव है और बच्चे इस बीमारी से निजात पा सकते हैं। कैंसर से डरना नहीं है। माता-पिता भी बच्चों के कैंसर से बिलकुल भी न डरें। इसके अलावा आमतौर पर कैंसर को लेकर एक भ्रम यह भी है कि बच्चों को कैंसर नहीं होता है, यह बीमारी सिर्फ बड़े लोगों तक ही सिमित है। ऐसा बिलकुल भी नहीं है। हाँ, बच्चों में कैंसर असामान्य होते हैं लेकिन बच्चों को भी कैंसर होता है।
बच्चों में होने वाले अधिकतर कैंसर का कोई कारण स्पष्ट नहीं है। केवल 1-2 प्रतिशत कैंसर जेनेटिक (अनुवांशिक) होते हैं। ब्लड कैंसर बच्चों में होने वाला सबसे आम कैंसर है, इसे एक्यूट माइलॉयड ल्यूकेमिया कहते हैं। यह खून और बोन मैरो (अस्थि मज्जा) में होने वाला कैंसर है। बच्चों में होने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर ब्रेन ट्यूमर है। तीसरा सबसे आम कैंसर ग्लांड्स का कैंसर यानी लिंफोमा हो सकता है। बच्चों में गले या बगल या ग्रोइन एरिया में गांठ हो सकती है, इसे लिम्फ नोड का कैंसर या लिम्फोमा कहते हैं।बच्चों में सॉलिड ट्यूमर हो सकता है। यह लीवर, किडनी में हो सकता है। किशोरावस्था में हड्डी में ट्यूमर हो सकता है।
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ब्लड कैंसर में बच्चों में हीमोग्लोबिन की कमी, प्लेटलेट्स कम होने से ब्लीडिंग होना, ज्यादा समय तक बुखार होना, इन्फेक्शन होना, ज्यादा थकावट महसूस होना, नींद न आना आदि लक्षण सामने आते हैं। ब्रेन ट्यूमर के कारण बच्चे को आंख से कम दिखाई देता है, खेलने की क्षमता में कमी आ जाती है, सुबह के समय सिर दर्द की समस्या होती है, दौरे पड़ना, उल्टियाँ करता रहता है। बच्चों में कैंसर के लक्षण बड़े लोगों में होने वाले कैंसर के लक्षण से बहुत अलग होते हैं। ब्लड कैंसर, ब्रेन ट्यूमर और लिंफोमा के मामले में लक्षण कुछ हद तक समान हो सकते हैं।
ब्लड कैंसर की जाँच के लिए सीबीसी टेस्ट यानी कंप्लीट ब्लड काउंट टेस्ट किया जाता है, जरूरत पड़ने पर बोन मैरो टेस्ट (कुल्हे की हड्डी में ब्लड की जाँच) भी किया जा सकता है। ब्रेन या सॉलिड ट्यूमर की स्थिति में बायोप्सी की जाती है।
बच्चों में कैंसर का इलाज संभव है। इससे डरने की जरूरत नहीं है। ब्लड कैंसर साधारण कीमोथेरेपी, इंजेक्शन, दवाइयों के मदद से ठीक हो जाता है अगर सॉलिड कैंसर जैसे ब्रेन ट्यूमर, लिंफोमा, किडनी ट्यूमर, लीवर ट्यूमर है तो इसमें सर्जरी और कीमोथेरेपी दोनों की मदद से इलाज किया जाता है।