मेले में पर्यटकों का मन मोह रही हरियाणा की बुणाई कला प्रदर्शनी
xसूरजकुंड(फरीदाबाद) ; आगामी 23 फरवरी तक चलने वाले 38वें अंतर्राष्ट्रीय सूरजकुंड क्राफ्ट मेले में विरासत दि हेरिटेज विलेज कुरुक्षेत्र द्वारा हरियाणा पैवेलियन के ‘अपणा घर’ में लगाई गई सांस्कृतिक प्रदर्शनी में हरियाणा का हस्तशिल्प आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।
यह जानकारी विरासत दि हेरिटेज विलेज कुरुक्षेत्र के संयोजक डॉ. महासिंह पूनिया ने दी।
उन्होंने बताया कि विरासत प्रदर्शनी के माध्यम से ‘अपणा घर’ को विशेष रूप से सजाया गया है। हरियाणा के लोक पारंपरिक विषय-वस्तुएं पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बनी हुई हैं। हरियाणा पैवेलियन के आपणा घर में हरियाणवी लोक परिधान की प्रदर्शनी, हरियाणा की बुणाई कला प्रदर्शनी सबका मन मोह रही है। इतना हीं नहीं लोक पारंपरिक हस्तकला के अनेक हरियाणवी नमूने यहां पर प्रदर्शित किए गए हैं।
उन्होंने बताया कि विरासत प्रदर्शनी में हरियाणा के गांवों से जुड़ी हुई सभी प्राचीन वस्तुओं का प्रदर्शन किया गया है जो अब लुप्तप्राय हो चुकी हैं। विरासत हेरिटेज विलेज का प्रयास है कि अपनी आने वाली पीढिय़ों के लिए इन वस्तुओं को संजो कर रखा जा सके जिससे वे इनको देखकर इन पर गर्व कर सकें।
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‘अपणा घर’ के संयोजक डॉ. पूनिया ने बताया कि हरियाणा की पगड़ी का स्टॉल भी युवा पीढ़ी के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है, जिसमें पगड़ी बंधाओ, फोटो खिंचाओ इवेंट के माध्यम से युवा पगड़ी परम्परा से रूबरू हो रहे हैं। यहां पर डायल का प्रदर्शन किया गया है। पुराने समय में इसके दोनों तरफ रस्सी बांधकर दो व्यक्ति तालाब में से ऊंची भूमि पर इससे पानी खींचने का काम किया करते थे। इसी तरह कूंए से पानी खींचने के लिए डोल प्रयोग किया जाता था, यहां पर प्रदर्शित ओरणा किसानों द्वारा गेहूं तथा फसल की बुवाई के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। यहां पर प्रदर्शित जेली एवं टांगली किसान द्वारा बिखरी हुई फसल को एकत्रित करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता था। यहां पर प्रदर्शित लकड़ी, लोहे व पीतल की घंटियां, बैलों, गाय, भैंसों, हाथी तथा रथ के लिए प्रयोग में लाई जाती रही हैं। प्राचीन समय में कूएं में जब कोई विषय-वस्तु गिर जाती थी तब उसको कूंए से बाहर निकालने के लिए प्रयोग होने वाले कांटे एवं बिलाई को भी यहां दिखाया गया है।
प्रदर्शनी में छटांक से लेकर पाव, सेर,धड़ी, मण आकार के वजन मापक भी उपलब्ध
प्रदर्शनी में अंग्रेजों के आने से पहले देहात में अनाज तथा तेल आदि की मपाई के लिए जिन मापकों का प्रयोग किया जाता था उनका भी प्रदर्शन किया गया है। छटांक, पाव, सेर, दो सेर, धड़ी, मण इनके आकार के अनुसार अनाज को मापने के लिए प्रयोग किए जाते रहे हैं। यहां पर अंग्रेजों के समय में प्रयोग होने वाले बाटों को भी प्रदर्शित किया गया है। न्यौल ऊँट के पैर पर बांधने के लिए इसका प्रयोग किया जाता रहा है। प्रदर्शनी में गांवों में महिलाओं द्वारा लडक़ी को दान में दिए जाने वाली फुलझड़ी को भी दिखाया गया है। उन्होंने बताया कि हरियाणवी लोक परिधान घाघरा, चूंदडी, दामन भी पर्यटकों के लिए काफी आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं।
वहीं यहां पर पुराने समय में चरखा कातने की परम्परा, कुम्हार द्वारा मिट्टी से बर्तन बनाने की परम्परा को दर्शाया गया है जो दर्शको को अपनी ओर आकर्षित करने के साथ-साथ सेल्फी लेने पर भी मजबूर कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अपणा घर में बनाये गए सेल्फी प्वाईंट भी लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं जहां पर सुबह से शाम तक पर्यटक सेल्फी लेकर मेले का आनंद ले रहे हैं। इसी तरह से बोहिया भी देहात में प्रयोग होने वाली महत्वपूर्ण वस्तु है। यह कागज, मुलतानी मिट्टी को गलाकर बनाये जाने वाली वस्तु है। इसी प्रकार यहां पर प्रदर्शित खाट एवं पीढ़ा हमारी संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे हैं। पीढ़ा, खटौला, खाट, पिलंग, दैहला आदि घरों, बैठकों एवं चौपालों में प्रयोग किए जाते रहे हैं। यहां पर सैंकड़ों वर्ष तांबे और पीत्तल के पुराने बर्तन भी प्रदर्शित किए गए हैं।कुल मिलाकर यही कहा जाएगा कि हरियाणावी संस्कृति की एक साथ झलक ‘अपणा घर’ में दिखाई दे रही है।