संस्थापक कुलपति डॉ. राज नेहरू का हुआ भव्य सम्मान
कर्मचारियों के बच्चों और एग्रीकल्चर फॉर्म के लिए दान कर गए उपहार में मिली राशि
पलवल। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति डॉ. राज नेहरू को भावुक और भव्य विदाई दी गई। उनके सम्मान में दिव्य समारोह का आयोजन किया गया और संस्थापक कुलपति के रूप में उनके योगदान के लिए उन्हें प्रशस्ति प्रदान किया गया। सम्मान की सूचक पगड़ी और शाल भेंट कर उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की गई। शिक्षकों, अधिकारियों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों ने उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया और उनके ऊपर पुष्प वर्षा की गई। उद्योग जगत की कई बड़ी हस्तियां इस सम्मान समारोह में शामिल हुई और संस्थापक कुलपित डॉ. राज नेहरू के विदाई समारोह को यादगार बना दिया।
वर्ष 2017 में डॉ. राज नहरू ने श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति के रूप में कमान सँभाली थी। उन्हें न केवल देश के पहले राजकीय कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना का श्रेय जाता है, बल्कि उनके कार्यकाल में इस विश्वविद्यालय ने एनआईआरएफ रैंकिंग में देश भर में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। इसके अलावा श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दर्जन भर प्रतिष्ठित अवार्ड भी अपने नाम किए हैं। अब उन्हें हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी के विशेष कर्तव्य अधिकारी का दायित्व मिला है। संस्थापक कुलपति डॉ. राज नेहरू विश्वविद्यालय परिसर पहुंचे तो उनका भव्य स्वागत किया गया। उनके मार्गदर्शन में स्क्रैप से बने ई व्हीकल को फूलों से सजाया गया।
बैंड की धुनों पर निकले उनके काफिले पर सारे रास्ते फूल बरसाए गए और विद्यार्थियों ने उनके प्रति करबद्ध कृतज्ञता ज्ञापित की। संस्थापक कुलपित डॉ. राज नेहरू, उनकी पत्नी सुनैना नेहरू, बेटी ओशीन और बेटा आर्यन भी इस यादगार समारोह में शरीक हुए। जब फूलों से सजे ई व्हीकल में सवार होकर वह आयोजन स्थल पर पहुंचे तो माहौल भावुक भी नजर आया। विश्वविद्यालय परिवार के साथ-साथ दुधौला गांव के पूर्व सरपंच सुन्दर सिंह और गाँव के मौजूदा व्यक्तियों ने भी कुलपति डॉक्टर राज नेहरू को का सम्मान किया। उन्होंने नोटों की माला भी पहनाई, लेकिन डॉ. राज नेहरू ने यह राशि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के बच्चों की शिक्षा और एग्रीकल्चर फार्म के लिए दान कर दी।
संस्थापक कुलपति डॉ. राज नेहरू ने इस अवसर पर पूरी टीम के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि यह लक्ष्य प्राप्त करना आसान नहीं था, लेकिन आप सबके सहयोग से मैं विश्वविद्यालय को इस मुक़ाम पर लाने में सफल हुआ। उन्होंने कहा कि दूर तक चलना है तो सबको साथ लेकर चलना पड़ेगा और इसी भावना के साथ हमने विश्वविद्यालय के निर्माण में सब की सहभागिता सुनिश्चित की। डॉ. राज नेहरू ने कहा कि मैने श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय को पूरी निष्ठा और मूल्य बोध के साथ संचालित किया।
इसके लिए विश्वविद्यालय की विश्वसनीयता सबसे ऊपर रही। चाहे वह भर्तियों का विषय हो पूरी पारदर्शिता के साथ भर्ती हुई और एक भव्य परिसर का निर्माण भी हुआ, लेकिन आठ साल में कोई आक्षेप नहीं है। उन्होंने कहा कि हमने नए आइडिया, नई नीतियां और नवाचार पर काम किया। इसके बूते ही इस विश्वविद्यालय ने देश-विदेश में अपनी एक अलग पहचान बनायी है। देश के पहले इनोवेटिव स्किल स्कूल की स्थापना को उन्होंने बड़ी उपलब्धि बताया। संस्थापक कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि हमने एक वर्ल्ड क्लास सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस की स्थापना की है। आने वाले दिनों में इसके बहुत सुखद परिणाम सामने आएंगे। साथ ही ऑन द जॉब ट्रेनिंग को कौशल शिक्षा के मॉडल में समावेशित किया गया है।
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अब यह पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल बन गया है। उन्होंने कहा कि आज देश और दुनिया के बहुचर्चित शिक्षण संस्थान श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के मॉडल का अनुकरण कर रहे हैं। यह हमारी उपलब्धि है। इस पूरे मिशन में सहयोग के लिए उन्होंने सभी डीन, प्रोफेसर, अधिकारियों, कर्मचारियों और विद्यार्थियों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। डॉ. राज नेहरू ने ग्राम पंचायत दुधौला के प्रति विशेष कृतज्ञता जतायी। उन्होंने कहा कि दुधौला गांव के सहयोग से ही यह विश्वविद्यालय स्थापित हो पाया है। संश्थापक कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालयों को वह अपने मन और सोच से कभी बाहर नहीं निकाल सकते। यह हमेशा दिल में रहेगा। अंत में उन्होंने अत्यंत विनम्रता से कहा कि इस कार्यकाल में यदि कोई चूक हुई हो तो उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।
विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रोफ़ेसर ज्योति राणा ने उन्हें विश्वविद्यालय की ओर से सम्मानित किया। इस मौक़े पर उन्होंने कहा कि पूरे देश के सामने यह विश्वविद्यालय आदर्श बन गया है। कुलपति के रूप में डॉक्टर राज नेहरू को भारत में कौशल शिक्षा का मॉडल खड़ा करने का श्रेय जाता है। उन्होंने जिस शिद्दत के साथ इस विश्वविद्यालय का स्थापना की है वह निर्वचनीय है। उनकी संस्तुतियों को यूजीसी और नैक ने भी स्वीकार किया।
यह बहुत बड़ा गौरव है।
विश्वविद्यालय के अकादमिक अधिष्ठाता प्रोफ़ेसर आर एस राठौड़ ने कहा कि कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में डॉक्टर राज नेहरू ने देश में स्किल एजुकेशन का इको सिस्टम तैयार किया। उन्होंने अपनी नेतृत्व क्षमता से शिक्षा जगत और देश व समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया है। डॉ. राज नेहरू को बंचारी की लोककला के संवर्द्धन के लिए भी जाना जाएगा। प्रोफेसर आर एस राठौड़ ने कहा कि अब हरियाणा सरकार ने उन्हें जो दायित्व दिया है इसका भी बड़े स्तर पर प्रदेश को लाभ मिलेगा।
आईआईएलएम की कुलपित डॉ. सुजाता शाही,
हीरो मोटरकॉर्प की ओर से एचआर हेड धर्म रक्षित, सुधांशु पाडी, ऑटोलेक की एचआर हेड भावना चौहान, मिताभी लैंस की ओर जीएम संजीव शर्मा, मेट्रो लैब के डायरेक्टर विनोद भाटी और हिपा की सहायक निदेशक रेखा भारद्वाज
सहित उद्योग जगत की कई बड़ी हस्तियों ने निवर्तमान कुलपति डॉ. राज नेहरू को सम्मानित किया और उनकी नई पारी के लिए शुभकामनाएँ दी।