लोग मिलते हैं गले यूं दिले बेज़ार के साथ, जैसे दीवार मिली हो किसी दिवार के साथ

फरीदाबाद:  साहित्यिक एवं सांस्कृतिक केंद्र व जीवा ग्रुप, तथा सहयोगी संभारये फाउंडेशन और एनजेडसीसी के संयुक्त तत्वाधान में त्रिदिवसीय कला, संगीत और साहित्य उत्सव जश्न-ए-फरीदाबाद के चौथे संस्करण के भव्य आयोजन का समापन अखिल भारतीय कवि सम्मेलन व मुशायरा कार्यक्रम से हुआ। इसमें प्रख्यात कवियों व शायरों ने भाग लिया। उनकी रचनाओं को साहित्य प्रेमियों ने जमकर सराहा।

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि, कृष्ण पाल गुर्जर, केंद्रीय राज्य म़त्री द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्वलित कर किया गया। इस अवसर पर सीमा त्रिखा, पूर्व शिक्षा मंत्री, हरियाणा, भाजपा के वरिष्ठ नेता अजय गौड़, राजीव जेतली, राज कुमार वोहरा उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि, कृष्ण पाल गुर्जर द्वारा आमंत्रित कवियों ओर शायरों शाल ओढ़ा कर तथा स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया।

मुख्य अतिथि, कृष्ण पाल गुर्जर ने फरीदाबाद में कला और साहित्य के प्रचार प्रसार में एफएलसीसी द्वारा किये जा रहे भव्य आयोजनों की भरपूर सराहना करते हुए और अधिक ऊंचाइयों को छूने की शुभकामनाएं व बधाई देते हुए ग्यारह लाख की सहयोग राशि देने की घोषणा की। एफएलसीसी के प्रधान नवीन सूद, सांस्कृतिक सचिव विनोद मलिक नें मंत्री जी से अनुरोध किया कि वर्तमान में एनआईटी स्थित एमसीएफ सभागार जर जर हालत में है तथा आयोजनों के लिए कोई भी सभागार उपलब्ध नहीं है। सामाजिक, साहित्यिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजनों के लिए सभागार मौलिक आवश्यकता है। सरकार से अगर जमीन मिल जाये तो एफएलसीसी उस पर सभागार बनवाकर इस कमी को पूरा करेगी। मंत्री जी ने अनुरोध को स्वीकारते हुए शीध्र ही एक नये सभागार निर्माण का आश्वासन दिया।

एफएलसीसी के प्रधान नवीन सूद, सांस्कृतिक सचिव विनोद मलिक, महासचिव मनोहर लाल नंदवानी, कोषाध्यक्ष वसु मित्र सत्यार्थी व कार्यकारी सदस्य अश्विनी सेठी, संस्थापक सदस्य डॉ शुभ तनेजा ने आमंत्रित अतिथियों का शाल ओढ़ा कर तथा स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया। नवीन सूद और विनोद मलिक ने एफएलसीसी की तरफ से केंद्रीय मंत्री का कार्यक्रम में पधारने के लिए धन्यवाद किया।

कवि सम्मेलन व मुशायरा कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्य प्रेमी और प्रसिद्ध उधोगपति टी एम लालानी द्वारा की गई तथा प्रमुख उधोगपति शम्मी कपूर विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

पंजाब सरकार के ए.डी.जी.पी, आई.पी.एस और प्रसिद्ध शायर मोहम्मद फैय्याज़ फारूकी संवैधानिक व्यवस्था के साथ साथ साहित्यिक व्यवस्था में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। अपनी शायरी से श्रोताओं पर प्रभावी छाप छोड़ते हुए जीवन और सामाजिक असलीयत को कुछ यूं बयान किया

लोग मिलते हैं गले यूं दिले बेज़ार के साथ
जैसे दीवार मिली हो किसी दिवार के साथ
शहर में कुछ तो हैं इस बात से दुश्मन मेरे
उसकी दीवार मिली है मेरी दीवार के साथ
छत के बारे में भी हम सोच लेते शायद
एक दीवार ही बन जाती जो दीवार के साथ

कवि मंज़र भोपाली को उर्दू और हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया । वह अपनी बेबाक शायरी के लिए जाने जाते हैं। दर्शकों के अनुरोध पर प्रस्‍तुत अपनी मशहूर रचना की प्रस्तुति को भरभूर तालियों से सराहा गया

मुझको अपने बैंक की क़िताब दीजिए
देश की तबाही का हिसाब दीजिए……

कैसी कैसी देखो योजनायें खा गए
बेच कर ये अपनी आत्माएँ खा गए
मार के मरीज़ों की दवाएँ खा गए
इन्हें पद्मश्री का ख़िताब दीजिए
देश की तबाही का हिसाब दीजिए..

डॉ. प्रवीण शुक्ल को ‘काका हाथरसी पुरस्कार’, ‘हिंदी गौरव सम्मान’, ‘ओम प्रकाश आदित्य सम्मान’ सहित देश-दुनिया के अनेक सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है। अपनी हास्य, ओज-वीर और शृ्ंगार रस से ओत-प्रोत कविताओं के माध्यम से प्रवीण शुक्ल भारत ही नहीं दुनिया के मंच पर हिंदी की पताका लहराह रहे हैं। कविताएं निराश-हताश व्यक्ति को हौसला देने का भी काम करती हैं, इसकी बानगी उनकी इस कविता में देखी जा सकती है-

कैसे कह दूँ कि थक गया हूँ मैं
जाने किस-किस का हौसला हूँ मैं
तुझको मंज़िल मुझी से मिलनी है
तेरी मंज़िल का रास्ता हूँ मैं

लोकप्रिय युवा कवयित्री सुश्री मणिका दुबे हिंदी-उर्दू कविता की एक नई सनसनी हैं. वे अपने भावपूर्ण लेखन और काव्यपाठ के लिए देशभर में बेहद लोकप्रिय हैं। माँ पर उनकी अभिव्यक्ति से श्रोता भावविभोर हो गये

कभी माँ की हथेली चूम लेना
रही माँ की बड़ी कुर्बानियां हैं

प्रसिद्ध शायर महशर आफ़रीदी बहुत ही सरल तरीके से बढ़े संदेश देने के लिए जाने जाते है। उनकी शायरी अंदाज़ को श्रोताओं से भरपूर समर्थन मिला।

तेरे बग़ैर ही अच्छे थे क्या मुसीबत है
ये कैसा प्यार है हर दिन जताना पड़ता है
हर आदमी से तबीयत तो मिल नहीं सकती
मगर ये हाथ तो फिर भी मिलाना पड़ता

मीनाक्षी जिजीविषा, प्रसिद्ध कवियत्री और शायरा, अनेक पुरुस्कारों से सम्मानित जिनकी अनेक कविता, कहानी, गजल, व्यंग्य और गजल संग्रह, प्रकाशित हुए हैं उनकी प्रस्तुति कई दर्शकों ने सराहना की
‘मसअले उठते अगर हम बात का देते जवाब
हमने चुप रहकर ही उसकी होशियारी काट दी’

जश्न-ए-फरीदाबाद के निदेश और मंच संचालक, दिनेश रघुवंशी वर्तमान वाचिक परंपरा में सर्वाधिक सक्रिय हस्ताक्षरों में गणित किए जाते हैं। संबंधों की पीड़ा और अनुभूति की बेहद संस्पर्शी संवेदना के गीत और मुक्तक दिनेश जी की काव्य-प्रतिभा के विशिष्ट अंग हैं। संबंधों पर अपनी रचना से सबको भावुक कर दिया

जो रिश्ते प्यार से सींचे सदा वो लहलहाएंगे दुखों में रोएंगे मिलकर सुखों में मुस्कुराएंगे। मेरे जोड़े हुए पैसे भला ना काम आएं पर मेरे जोड़े हुए रिश्ते तो मेरे काम आएंगे

अभिषेक देसवाल व जय माला तोमर की रचनाओं से श्रोताओं का भरपूर समर्थन मिला।

इस कार्यक्रम में एफएलसीसी उपप्रधान जगदीप मैनी, कार्यकारी सदस्य वी के अग्रवाल, जितेंद्र मान, मोहिंदर सेठी तथा प्रभा छाबड़ा, सुरेखा बांगिया, विजय सुनेजा, आर के बत्रा, तजेंद्र भारद्वाज, श्याम सुंदर कपूर, अजय कत्याल व अन्य साहित्य प्रेमी मौजूद रहे।

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