जश्न-ए-फरीदाबाद 4 में काव्य ‘व्यथा कहे पांचाली’ पर चर्चा व हास्य नाटक मंचन

फरीदाबाद : फरीदाबाद साहित्यिक एवं सांस्कृतिक केंद्र ( एफ एल सी सी) तथा सहयोगी संभारये फाउंडेशन और एनजेडसीसी द्वारा 13 से 15 दिसंबर तक आयोजित त्रिदिवसीय कला, संगीत और साहित्य उत्सव ‘जश्न-ए-फरीदाबाद 4’ के दूसरे दिन के प्रथम सत्र में आयोजित परिचर्चा कार्यक्रम ‘चौपाल’ मे कवयित्री उर्वशी अग्रवाल ‘उर्वी’ जिन्‍होंने अपनी नौ वर्ष की कठिन साहित्यिक साधना से पांचाली यानी द्रौपदी के व्यक्‍तित्‍व पर चौपाई शैली में प्रबंध काव्‍य ‘व्‍यथा कहे पांचाली’ लिखा है। इस पर अपने विचार रखते हुए उन्होंने बताया कि इस काव्य ग्रंथ में पांचाली के जीवन संघर्ष, उसकी नियति, चीरहरण, वनगमन, द्रोपदी हरण, युधिष्‍ठिर-द्रौपदी संवाद, अज्ञातवास, कृष्‍ण द्रौपदी युद्ध संवाद, अभिमन्‍यु वध, कर्ण वध, दुर्योधन वध, गांधारी के शाप, पांचाली पुत्रों का वध, स्‍वर्ग गमन इत्‍यादि की कथा रुचिर शैली में प्रस्‍तुत कर महाभारत के इन प्रसंगों को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है।

उन्होंने बताया कि मेरी किताब ‘व्यथा कहे पांचाली’ आज के संदर्भ में महिला विमर्श को नई वैचारिक धार देती है। पुस्तक में बहुत ही मर्मिक वेदना चित्रण करते हुए लिखा है पाँच पिया स्वीकारे क्यूँ थे। खुद ही भाग बिगाड़े क्यूँ थे। काश विशेधी हो जाती मैं। थोड़ा क्रोधी हो जाती मैं। काश न मेरे हिस्से होते। द्रौपदी के संघर्ष पूर्ण पीड़ा से व्यथित होकर इस महाकव्य की रचना की थी पर आज भी स्तिथि में कोई बदलाव नहीं है। किसी न किसी तरह नारी को आज भी अत्याचार, बलातकार जैसी घिनोनी घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है। इस पर समाज और सरकार को सक्रियता से प्रभावी कदम उठाने कई सख्त जरूरत है।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि, हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा रेनू भाटिया ने महिला सशक्तिकरण पर सामाजिक और राजनैतिक प्रयासों और अधिक प्रभावी बनाने के लिए अपने प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परिवार में लड़को को अधिक संस्कारित तथा बच्चियों को अबला नहीं सबला बनाने के प्रयासों की आवश्यकता है।

इस परिचर्चा में प्रख्यात लेखिका व कवयित्री डॉ ज्योति राणा, डॉ शुभ तनेजा, प्रवीण भारद्वाज ने भाग लिया। एफएलसीसी के सांस्कृतिक सचिव विनोद मलिक ने स्मृति चिन्ह व शाल से उर्वशी अग्रवाल, डॉ ज्योति राणा व रेनू भाटिया का स्वागत किया।

फरीदाबाद के लिए गर्व की बात है कि एन आई टी 5 नंबर में रहते हुए अपनी स्कूल की शिक्षा केंद्रीय विधालय- 3 से प्राप्त करने वाले, नाटक के मुख्य कलाकार, अनूप सोनी आज बॉलीवुड और थिएटर के जाने माने कलाकार हैं। अपने ही शहर, फरीदाबाद में आकर अनूप सोनी और उनकी टीम ने सांयज्ञसत्र में अपने प्रशंसित हास्य नाटक ‘ मेरी पत्नी का आठवां वचन ‘ का मंचन किया। हास्य और ज्ञानवर्धक इस नाटक में मधुर की भूमिका अनूप सोनी, महक की भूमिका मोनिशा कटियाल (दोनों पति और पत्नी) और दक्ष की भूमिका विनय जैन ने निभाई।

नाटक की शुरुआत एक शादीशुदा जोड़े के बीच हमेशा की तरह होने वाले झगड़ों से हुई, जो कि नीरस होने के बजाय प्यारा लग रहा था। जैसे-जैसे नाटक आगे बढ़ा, यह और भी बेहतर होता गया। कुछ समय बाद, तीसरा किरदार आता है, और नाटक भावुक कॉमेडी की ओर मुड़ जाता है। दर्शकों के मनोरंजन के लिए कॉमेडी के पंच अच्छी तरह बुने गए थे। तीनों मुख्य कलाकारों ने अपनी भूमिका को सुसंगतता से निभाया और नाटक को कुशलता से आगे बढ़ाया, जहाँ समय और समन्वय भी बरकरार था।

नाटक के समापन ने दर्शकों को अच्छा महसूस कराया, क्योंकि इसने एक प्रभावशाली संदेश दिया कि अच्छे रिश्तों में नियमित संचार बहुत महत्वपूर्ण है। हल्के-फुल्के लहजे और बनावट के साथ, नाटक “मेरी पत्नी का आठवाँ वचन” ने प्रभावी ढंग से यह विचार व्यक्त किया कि ” संचार ही सफलता की कुंजी है (बात करने से ही बात बनती है)”।

विशिष्ट अतिथि के रुप में एनआईटी विधायक सतीश फागना मौजूद रहे। सांस्कृतिक सचिव विनोद मलिक, महासचिव मनोहर लाल नंदवानी, कोषाध्यक्ष वसु मित्र सत्यार्थी, कार्यकारी सदस्य वी के अग्रवाल, अश्विनी कुमार सेठी, संस्थापक सदस्य राकेश कुकरेजा, हरीश अरोड़ा, जितेंद्र मान, शुभ तनेजा ने कलाकारों को शाल ओढ़ा कर तथा स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस कार्यक्रम में श्याम सुंदर कपूर, अजय कत्याल, नवदीप चावला, सी पी कालरा, राज कुमार वोहरा, आनंद महता मौजूद रहे।

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