बच्चों में भारतीय संस्कृति का बोध करवाना गुरूजनों का कर्तव्य : आचार्य वरूणदेव

फरीदाबाद: बच्चों को भारतीय संस्कृति का बोध करवाना तथा उन्हें संस्कारिक करना गुरूजनों का परम कर्तव्य बन जाता है, क्योंकि शिक्षा के साथ-साथ बच्चों की सफलता में संस्कार अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
यह बात आर्य विद्वान आचार्य वरूण देव (जोधपुर) ने आर्य समाज सैक्टर-19 के वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य में चल रहे जागृति अभियान के मध्यनजर गांव रिवाजपुर स्थित जीनियस पब्लिक स्कूल में छात्र-छात्राओं, अध्यापकों एवं गांव के गण्यमान्य लोगों को संबोधित करते हुए कही। इससे पूर्व आर्य समाज सैक्टर-19 के प्रधान डा. गजराज सिंह आर्य, मधु चौहान, सुनील चौहान ने आचार्य वरूण देव का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि बच्चों में बोलचाल का व्यवहार मधुर और शालीनता भरा हो यह अध्यापक की जिम्मेदारी है।
ज्ञान के द्वारा हम जीवन में उच्च पदों पर तो जा सकते हैं लेकिन बिना संस्कार के एक जिम्मेदार आदमी बनना बहुत मुश्किल है। उन्होंने कहा कि वेदों में ज्ञानी के पास ज्ञान के लिए, ज्ञान के निमित जाया जाता है। इस ज्ञान की परंपरा से व्यक्ति समाज को अपनी काबलियत के द्वारा लाभ पहुंचा सकता है।
आचार्य वरूण देव ने कहा कि मनु स्मृति के द्वितीय अध्याय में नमस्कार करने की विधि, उसके लाभ व मानव जीवन की सफलता पर विशेष प्रकार का लाभ डाला गया है, इसलिए हमें वेदों का अध्यन्न कर युवा पीढी को वेदों के प्रति प्रेरित करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर रविंद्र तनेजा, सुरेश कुमार आर्य, विमला ग्रोवर, अशोक आर्य, लोकनाथ क्वात्रा, राजेेंद्र सिंह सहित गांव रिवाजपुर के गण्यमान्य लोग उपस्थित थे।

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