स्किल एजुकेशन मॉडल को और कारगर बनाने की पहल
श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राज नेहरू की अध्यक्षता में अकादमिक और औद्योगिक जगत के प्रतिनिधियों ने किया मंथन -ऑन द जॉब ट्रेनिंग को और प्रभावी बनाने पर जोर, दो सप्ताह में रिपोर्ट देगी औद्योगिक एवं अकादमिक प्रतिनिधियों की समिति
फरीदाबाद । श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय ने स्किल एजुकेशन मॉडल को और बेहतर बनाने की दिशा में पहल की है। स्किल एजुकेशन के सबसे महत्वपूर्ण घटक ऑन द जॉब ट्रेनिंग को और अधिक कारगर बनाया जाएगा। फरीदाबाद स्थित राष्ट्रीय सीमेंट एवं निर्माण सामग्री परिषद परिसर में कुलपति डॉ. राज नेहरू की अध्यक्षता में विशेषज्ञों ने इस पर गहन मंथन किया। अकादमिक विशेषज्ञों एवं उद्योग जगत के प्रतिनिधियों की एक समिति गठित की गई है, जो दो सप्ताह में अपनी रिपोर्ट कुलपति डॉ. राज नेहरू को सौंपेगी।
राष्ट्रीय सीमेंट एवं निर्माण सामग्री परिषद के
महानिदेशक डॉ. एलपी सिंह ने मुख्यातिथि और संयुक्त निदेशक डॉ. डीके पांडा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शिरकत की और कौशल शिक्षा के क्षेत्र में आ रहे बदलावों पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए। डॉ. एल पी सिंह ने कहा कि पाठ्यक्रमों को इंडस्ट्री की आवश्यकता के अनुरूप बनाना बहुत जरूरी है। डॉ. डी के पांडा ने भी पढ़ाने से ज्यादा सिखाने की जरूरत पर बल दिया।
श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के शिक्षा शास्त्र एवं क्षमता निर्माण विभाग के तत्वावधान में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि ऑन द जॉब ट्रेनिंग स्किल एजुकेशन मॉडल की रीढ़ है। इसे और अधिक प्रभावी बनाए जाने की आवश्यकता है। इसी उद्देश्य से औद्योगिक साझेदारों और अकादमिक विशेषज्ञों को एक साथ बिठा कर मंथन किया जा रहा है। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के मॉडल का देश भर के अन्य विश्वविद्यालय तथा संस्थान अनुसरण करते हैं। इसलिए ऑन द जॉब ट्रेनिंग को और अधिक कारगर बनाने से बेहतर परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने ऑन द जॉब ट्रेनिंग को दौरान विद्यार्थियों के सीखने का मूल्यांकन करने, उद्योग के साथ समन्वय बढ़ाने, फीड बैक के आधार पर सुधार, फैकल्टी लीडरशिप, रणनीतिक योजना, स्टाइपेंड और कार्य समन्वित मॉडल समेत विभिन्न आयामों पर अपनी राय दी और विशेषज्ञों की समिति गठित कर 2 सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा। अकादमिक अधिष्ठाता प्रोफेसर आर एस राठौड़ को इस समिति का समन्वयक बनाया गया है।
इस दौरान जेबीएम के वाइस प्रेसिडेंट डॉ. राजीव शर्मा ने पाठ्यक्रमों में इंडस्ट्री की सहभागिता सहित कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। हीरो मोटकॉर्प की ओर से डीजीएम (एच आर) सुधांशु पाधी ने ऑन द जॉब ट्रेनिंग को प्रभावी बनाने के किए नियमित संवाद और फीडबैक के आधार पर कार्यवाही करने की संस्तुति दी। साथ ही उन्होंने धैर्य और जुनून के साथ आगे बढ़ने की सलाह भी दी। कॉन्सेंट्रिक्स की ओर से प्रतिनिधि के रूप में नरेश मागो ने कहा कि क्लास रूम में भी इंडस्ट्री संबंधित स्किल पढ़ाई जानी चाहिए। गो प्लो के निदेशक सम्राट चौहान ने कहा कि क्लास रूम के बाहर सीखने की शैली और अवधि, दोनों में और अधिक विस्तार की आवश्यकता है।
अकादमिक अधिष्ठाता प्रोफेसर आर एस राठौड़ ने सभी सुझावों को समाहित करते हुए विस्तृत रिपोर्ट बनाने की बात कही। शिक्षा शास्त्र के अधिष्ठाता प्रोफेसर ऋषिपाल ने कहा कि क्षमता निर्माण और दक्षता पर निरंतर कार्य करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। स्किल एजुकेशन के मॉडल पर श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की छाप पूरे देश में दिखाई देती है। भविष्य में यह और अधिक प्रभावी होगी।
डॉ. भावना रूपराई ने कार्यक्रम का संचालन किया।
इस अवसर पर प्रोफेसर आशीष श्रीवास्तव,
प्रोफेसर ए के वातल, प्रोफेसर ऊषा बत्रा, प्रोफेसर कुलवंत सिंह, प्रोफेसर जॉय कुरियाकोजे, प्रोफेसर सुरेश कुमार, उप कुलसचिव अंजू मालिक, इंडस्ट्री इंटीग्रेशन के उप निदेशक अमीष अमेय, डॉ. संजय राठौर, डॉ. मनी कंवर सिंह, डॉ. सविता शर्मा, डॉ. समर्थ सिंह, डॉ. पिंकी शर्मा, डॉ. रवींद्र सिंह और सहायक उप निदेशक विनोद भारद्वाज के अलावा काफी संख्या शिक्षक उपस्थित थे।