कुमारी शारदा राठौर का निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन : पार्टी नेतृत्व ने जनता की राय को किया नज़रअंदाज़।
बल्लभगढ़ : बल्लभगढ़ विधानसभा सीट से पूर्व विधायक और कांग्रेस की सशक्त नेता कुमारी शारदा राठौर ने आज हजारों समर्थकों के साथ एक भव्य पद यात्रा के बाद हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के लिए स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया। कुमारी शारदा राठौर, जो वर्षों से कांग्रेस पार्टी की एक सशक्त स्तंभ रही हैं, को इस बार भी बल्लभगढ़ सीट से कांग्रेस का टिकट मिलने की पूरी उम्मीद थी। वह पार्टी की संभावित उम्मीदवारों की सूची में शीर्ष पर थीं, और जनता का भी व्यापक समर्थन उनके पक्ष में था। लेकिन कल रात पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इस सीट का टिकट किसी अन्य व्यक्ति को सौंप दिया, जिसने न केवल कुमारी शारदा राठौर को, बल्कि उनके हजारों समर्थकों और क्षेत्र की जनता को भी निराश किया है।
कुमारी शारदा राठौर की नामांकन रैली बल्लभगढ़ में पंजाबी धर्मशाला से शुरू हुई और उनके हजारों समर्थकों ने उनका साथ दिया। यात्रा ने विभिन्न प्रमुख स्थानों से गुजरते हुए जनता का ध्यान आकर्षित किया, जिसमें गुप्ता होटल, अग्रसेन चौक, मुख्य बाजार, अंबेडकर चौक, राजा नाहर सिंह महल होते हुए एसडीएम कार्यालय तक का मार्ग शामिल था। यह यात्रा न केवल शक्ति प्रदर्शन थी, बल्कि क्षेत्र की जनता के प्रति उनके अटूट समर्थन और निष्ठा को भी दर्शाती है।
कुमारी शारदा राठौर ने इस निर्णय के बाद गहरी निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा, “मैंने अपनी पूरी राजनीति को जनता की सेवा और पार्टी के आदर्शों के प्रति समर्पित किया है। पिछले कई वर्षों से मैंने बल्लभगढ़ की जनता के लिए निस्वार्थ भाव से काम किया है और कांग्रेस पार्टी को मजबूत बनाने के लिए अपना सर्वस्व दिया है। आज जब जनता और समर्थकों की राय मेरे पक्ष में थी, तब भी पार्टी नेतृत्व ने उनकी आवाज़ को नज़रअंदाज़ कर दिया। यह न केवल मेरे लिए, बल्कि मेरे समर्थकों के लिए भी एक बड़ा झटका है।”
कुमारी राठौर का मानना है कि इस फैसले से जनता की भावनाओं को ठेस पहुंची है। “पार्टी नेतृत्व ने जनता की भावनाओं और मेरी वर्षों की कड़ी मेहनत को दरकिनार कर दिया है। जब मैंने देखा कि जनता और क्षेत्र के हितों की अनदेखी की जा रही है, तब मेरे पास स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा। मैंने हमेशा जनता की भलाई के लिए काम किया है, और आज भी जनता का हित मेरे लिए सर्वोपरि है।”
उन्होंने अपने समर्थकों को आश्वस्त किया कि वह क्षेत्र के विकास और जनता की सेवा के लिए अपने संघर्ष को किसी भी स्थिति में कमजोर नहीं होने देंगी। “यह निर्णय मेरे लिए आसान नहीं था, लेकिन जनता का प्यार और समर्थन मेरे साथ है। मेरे लिए राजनीति कभी भी पद की लालसा का विषय नहीं रही है, बल्कि जनता के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का जरिया रही है। मैं बल्लभगढ़ की जनता के साथ खड़ी हूं और उनकी आवाज को विधानसभा में पहुंचाना ही मेरा मुख्य उद्देश्य है।”
पार्टी नेतृत्व के इस फैसले से कई सवाल खड़े होते हैं। कुमारी राठौर ने सवाल उठाते हुए कहा, “क्या पार्टी के कार्यकर्ता और उनकी निष्ठा का कोई महत्व नहीं? क्या जनता की आवाज़ को अनदेखा करना पार्टी की नई नीति बन चुकी है?” इन सवालों ने न केवल उनके समर्थकों में असंतोष पैदा किया है, बल्कि पूरे क्षेत्र में एक नई चर्चा छेड़ दी है।
कुमारी शारदा राठौर ने अपने राजनीतिक जीवन में हमेशा जनता के कल्याण को प्राथमिकता दी है। उनका मानना है कि क्षेत्र के विकास और जनता के मुद्दों के समाधान के लिए वह अपनी पूरी ताकत झोंक देंगी। “यह चुनाव मेरे लिए जनता के प्रति मेरी जिम्मेदारी को पूरा करने का एक और मौका है। पार्टी ने भले ही मेरी मेहनत को अनदेखा कर दिया हो, लेकिन जनता का विश्वास मेरे साथ है, और यह मेरे लिए सबसे बड़ी ताकत है।”
इस कदम से स्पष्ट है कि कुमारी शारदा राठौर जनता के हितों को किसी भी पार्टी से ऊपर रखती हैं। पार्टी टिकट न मिलने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी, बल्कि अपनी स्वाभाविक जिम्मेदारी को निभाने के लिए एक नई राह चुनी है। उनका मानना है कि जनता का समर्थन और प्यार ही उनकी असली शक्ति है, और इसी के बल पर वह एक बार फिर विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
बल्लभगढ़ की जनता के बीच उनका यह कदम व्यापक चर्चा का विषय बना हुआ है। उनके समर्थक और जनता का एक बड़ा वर्ग उनके इस फैसले के साथ खड़ा है, जो यह मानता है कि कुमारी शारदा राठौर ही इस क्षेत्र की सच्ची नेता हैं, जिन्होंने हमेशा जनता की भलाई के लिए काम किया है।