सूरजकुंड इंटरनेशनल स्कूल में पूर्ण हर्षोल्लाह से मनाया गया शिक्षक दिवस “

फरीदाबाद। दयालबाग स्थित सूरजकुंड इंटरनेशनल स्कूल में भारत के उपराष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में पूर्ण उत्साह के साथ मनाया गया। इस दिन की शुरुआत शिक्षकों के प्रति सहयोग को बढ़ावा देने और भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए शिक्षकों के महत्व के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से की गई।
इस कार्यक्रम का शुभारंभ सूरजकुंड इंटरनेशनल स्कूल के मुख्य निदेशक एवं वरिष्ठ अधिवक्ता सत्येंद्र भड़ाना जी  व स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती शुभ्रता सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित  किया  एवं महान शिक्षाविद व देश के द्वितीय राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण किया। तत्पश्चात सभी शिक्षक एवं शिक्षिकाओं ने सर्वपल्ली राधाकृष्णन को श्रद्धा सुमन अर्पित किए एवं नतमस्तक होकर उनके निस्वार्थ त्याग एवं योगदान को याद किया। कार्यक्रम का संचालन कक्षा बारहवीं की छात्राओं श्रेया राय व तेजस्विनी तोमर के द्वारा किया गया। छात्र-छात्राओं द्वारा रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुति की गई। छात्रों ने अपने शिक्षकों को टाइटल दिया और उनके लिए मनोरंजक खेलों की व्यवस्था की। छात्र-छात्राओं ने गुरु- शिष्य की परंपरा को कायम रखते हुए सभी शिक्षकों को पुष्पगुच्छ  देकर सम्मानित किया।
 विद्यालय के मुख्य निदेशक एवं वरिष्ठ अधिवक्ता सतेंद्र भडाना जी ने सभी शिक्षक एवं शिक्षिकाओं को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं देते हुए बताया कि किसी विद्यालय की महानता या गरिमा का निर्धारण उसकी इमारतों या उपकरणों से नहीं होता बल्कि कार्यरत अध्यापकों की विद्वत्ता व चरित्र निर्धारण से होता है ।समाज के नवनिर्माण में शिक्षकों की अहम भूमिका होती है क्योंकि शिक्षक ही सही कर्तव्यों का भान कराकर विद्यार्थियों को एक सच्चा व नेक नागरिक बनने में उनकी सहायता करते हैं।
कार्यक्रम के अंत में स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती शुभ्रता सिंह ने डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनके बताएं रास्ते पर चलने का आह्वान किया।उन्होंने शिक्षक व शिक्षिकाओं  को शुभकामनाएं देते हुए बताया कि शिक्षक राष्ट्र का निर्माता होता है। वह हमारा मार्गदर्शक होता है जो हमें सफलता की ओर निरंतर अग्रसर होने के लिए प्रेरित करता है। शिक्षक का स्थान सर्वोपरि होता है क्योंकि वही हमें सफलता के शिखर तक ले जाता है ।एक शिक्षक की सफलता उसकी पढ़ाए गए विद्यार्थियों पर निर्भर है। एक शिक्षक अपने जीवन में हजारों विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ सही मार्गदर्शन देकर समाज को शिक्षित और सुसंस्कृत बनIता है।

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