स्वास्थ्य विभाग द्वारा गांव अटाली में आत्महत्या रोकथाम और मानसिक स्वास्थ्य सुधार अभियान शुरू किया

आत्महत्याओं की संख्या को कम करने पर काम करने की ज़रूरत है : डॉ. अंकित चंद्र

फरीदाबाद : 23 जुलाई, स्वास्थ्य विभाग द्वारा गांव अटाली में आत्महत्या विरोधी जागरूकता एवं मानसिक स्वास्थ्य कल्याण अभियान का शुरू किया। पीएचसी छांयसा के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. अंकित चंद्र ने बताया कि जनवरी 2024 से अब तक अटाली गांव में आत्महत्या के कारण 3 मौतें हो चुकी हैं। सभी 21 से 23 वर्ष के युवा वर्ग के थे। हाल ही में आत्महत्या के प्रयासों की संख्या गावों में भी बढ़ रही है।

इसी को ध्यान में रखते हुए अटाली के सरकारी एवं प्राइवेट स्कूलों में आत्महत्या विरोधी जागरूकता और मानसिक स्वास्थ्य कल्याण का अभियान चालू किया गया है । इसमें स्कूलों के बड़े बच्चों को और समुदाय के लोगो को जागरूक और सक्षम बनाने के लिए सत्र रखे जाएंगे । इसका पूरा उद्देश्य आत्महत्याओं की संख्या को कम करना और मानसिक कल्याण में सुधार करना है।

उन्होंने बताया कि एमबीएल सीनियर सेकेंडरी स्कूल अटाली में स्कूल प्रभारी मुकेश के सहयोग से जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस सत्र में डॉ. कार्तिक मित्तल ने डिप्रेशन के लक्षण और आत्महत्या के कारणों के बारे में जानकारी दी। डॉ. अंकित चंद्र ने प्रबंधन के बारे में जानकारी दी और बताया कि डिप्रेशन या आत्महत्या की प्रवृत्ति वाले व्यक्ति के लिए क्या किया जा सकता है। पीएचसी छांयसा में मनोचिकित्सक डॉक्टर हर मंगलवार दोपहर डेढ़ बजे से उपलब्ध रहते है । डॉ सत्या ने टेलीमानस के हेल्पलाइन नंबर की जानकारी दी ।

जिसका नंबर है – 14416 या 1-800-891-4416, यह 2022 में शुरू की गई सरकारी पहल है, जो पूरे देश में चौबीसों घंटे मुफ्त टेली-मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करती है, विशेष रूप से यह लाभार्थी की स्थानीय भाषा में सेवाएं प्रदान करता है। छात्रों की शंकाओं को दूर करने के लिए प्रश्न-उत्तर सत्र भी आयोजित किया गया। सत्र की तैयारी और समन्वयन शोभा, दीपिका, रोज़मेरी, राकेश, शर्मिला और राजकुमार ने किया और सक्रिय रूप से भाग भी लिया।

डॉ. अंकित चंद्र ने इस बताया कि भारत में आत्महत्या की औसत दर 11.3 प्रति 1 लाख है और हरियाणा में 13.7 प्रति लाख है (स्वास्थ्य और परिवार मंत्रालय के 2020 के आंकड़ों के अनुसार) और 15-29 वर्ष के आयु वर्ग में मृत्यु का सबसे आम कारण आत्महत्या है । इसलिए अब मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने और आत्महत्याओं की संख्या को कम करने पर काम करने की ज़रूरत है ।

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