श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में विश्व जल दिवस आयोजित
पलवल। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में शुक्रवार को विश्व जल दिवस मनाया गया। इस उपलक्ष्य में आयोजित सिम्पोजियम में पर्यावरण विशेषज्ञों ने जल संकट और इससे पार पाने के प्रयासों पर मंथन किया। विद्यार्थियों में जल और पर्यावरण के प्रति जागरूकता प्रसारित करने के उद्देश्य से प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया।
हरियाणा सरकार के पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय और श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम को एनवायरमेंट इन्फोर्मेशन, अवेयरनेस कैपेसिटी बिल्डिंग द्वारा प्रायोजित किया गया।
कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रोफेसर ज्योति राणा ने कहा कि जल बिना कल की कल्पना नहीं की जा सकती। जल है तो कल है। प्रोफेसर ज्योति राणा ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों के लिए ही नहीं हमें अपने वर्तमान के लिए भी जल को बचाना होगा। उन्होंने विद्यार्थियों से जल संरक्षण के प्रहरी बन कर काम करने का आह्वान किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अकादमिक अधिष्ठाता प्रोफेसर आर एस राठौड़ ने कहा कि हम जल बना नहीं सकते बचा तो सकते हैं। उन्होंने कहा कि जल बचाने के अभियान केवल कथनों में नहीं बल्कि धरातल पर होना चाहिए। प्रोफेसर राठौड़ ने आने वाले जल संकट के प्रति आगाह किया। इकोलाइव के संस्थापक सुनील कुमार पाचर ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि जल बंटवारे के लिए विश्व में और भारत में बड़े विवाद खड़े हो रहे हैं। हमें पानी के इस्तेमाल के तौर तरीके बदलने होंगे। सुनील कुमार पाचर ने कहा कि जलशोधन और उनके पुन: प्रयोग की तकनीकों पर काम करना होगा।
डाइकी एक्सिस इंडिया के सीईओ कमल तिवारी विश्व में 75% रोजगार जल की उपलब्धता पर आधारित हैं। 2050 तक जल की आवश्यकता 100 प्रतिशत से भी ज्यादा बाद जाएंगी। इसलिए लिए हमें वाटर ट्रीटमेंट की तकनीक पर काम करना होगा।
पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन निदेशालय के कार्यक्रम अधिकारी अरविंद कुमार पुंडीर ने कहा कि पर्यावरण परिवर्तन हमारे लिए बड़ी चुनौती है। हमें जल संरक्षण, ऊर्जा संरक्षण और वन संरक्षण करने के साथ – साथ और समस्त प्रदूषणों को रोकना होगा। वर्षा चक्र प्रभावित हो रहे हैं। हमें बारिश के पानी के संग्रह, शुद्धिकरण और उसके उपयोग पर जोर देना होगा।
विभा वाणी इंडिया के राज्य समन्वयक जाकिर हुसैन ने कहा कि हर साल 2 लाख लोगों की दूषित जल के उपयोग से मौत हो जाती है। भूजल स्तर लगातार नीचे खिसक रहा है। हमें जल संरक्षण में अपनी भूमिका सुनिश्चित करनी होगी।
कुलसचिव प्रोफेसर ज्योति राणा व अन्य अतिथियों ने क्विज के विजेता सरस्वती, पवन कोशिश और बलदेव को सम्मानित किया।
इस अवसर पर प्रोफेसर एके वात्तल, प्रोफेसर डीके गंजू, प्रोफेसर जॉय कुरियाकोजे, संयुक्त निदेशक विनीत सूरी, उप निदेशक अमीष अमेय, डिप्टी प्लेसमेंट ऑफिसर डॉ. विकास भदोरिया, डॉ. मोहित श्रीवास्तव, डॉ. कल्पना माहेश्वरी, डॉ. मीनाक्षी, डॉ. शिव कुमार, डॉ. मनोज, डॉ. हेमंत, डॉ. संतोष कुमार के अलावा काफी संख्या में शिक्षक, अधिकारी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।