सीएससी और ओएनडीसी ने ई-कॉमर्स को ग्रामीण भारत तक ले जाने के लिए हाथ मिलाया
सीएससी और ओएनडीसी की इस संयुक्त पहल का उद्देश्य ग्रामीण भारत तक ई-कॉमर्स की पहुंच बढ़ाना है, जो समावेशी डिजिटल कॉमर्स की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है
दिल्ली: इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के तहत, कॉमन सर्विस सेंटर्स (सीएससी) ने पूरे भारत में ग्रामीण नागरिकों तक ई-कॉमर्स एक्सेस को सक्षम करने के लिए ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) के साथ हाथ मिलाया है। यह पहल एक खरीदार एप्लिकेशन के रूप में ओएनडीसी नेटवर्क पर सीएससी के ई-ग्रामीण ऐप के एकीकरण को सक्षम करेगी, जिससे ग्रामीण भारत के नागरिकों को इसके व्यापक ई-कॉमर्स नेटवर्क का एक्सेस मिलेगा।
सीएससी सेवाएं दो चरणों में ओएनडीसी नेटवर्क का हिस्सा बन जाएंगी। पहले चरण में, इसे खरीदार-पक्ष के प्लेटफॉर्म के रूप में शामिल किया जाएगा, जिससे सीएससी पर आने वाले नागरिकों को ई-ग्रामीण ऐप के माध्यम से आवश्यक वस्तुओं के ऑर्डर करने की सहूलियत मिलेगी। पूरे भारत में 4 लाख से अधिक सीएससी पॉइंट्स के साथ, यह लाखों नए उपयोगकर्ताओं को उनके विश्वसनीय नज़दीकी सीएससी से ई-कॉमर्स को एक्सेस करने में सक्षम बनाएगा।
दूसरे चरण में, सीएससी प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत विक्रेता ओएनडीसी नेटवर्क के ज़रिये ऑर्डर प्राप्त कर सकेंगे। इससे ग्राम स्तर के उद्यमियों के लिए उद्यमशीलता के अवसर और आमदनी को बढ़ावा मिलेगा, जिससे ग्राम स्वराज का सपना सच होगा।
ओएनडीसी के एमडी और सीईओ, टी. कोशी ने कहा, “ओएनडीसी नेटवर्क पर कॉमन सर्विस सेंटर्स को देखकर हमें खुशी हो रही है, जो स्थानीय उद्यमिता को सशक्त बनाने वाले नए अध्याय की शुरुआत है। सीएससी के विश्वसनीय और व्यापक नेटवर्क के माध्यम से, लाखों नागरिकों को अब आवश्यक ई-कॉमर्स सेवाओं का एक्सेस मिलेगा। साथ मिलकर, हमें आत्मनिर्भर भारत के विज़न के अनुरूप ग्रामीण आमदनी को बढ़ावा देने के लिए ग्राम-स्तरीय उद्यमियों के उद्यमशीलता के वादे का लाभ उठाने की उम्मीद है।”
सीएससी एसपीवी के एमडी और सीईओ संजय कुमार राकेश ने इस बारे में समझाते हुए कहा कि, “डिजिटल सशक्तिकरण के कारण ग्रामीण भारत तेज़ी से बदल रहा है। अब, ओएनडीसी के साथ इस रिश्ते की बदौलत ई-कॉमर्स सेवाएं सुदूर ग्रामीण इलाकों तक पहुंच सकेंगी। यह साझेदारी ग्रामीण भारत में ई-रिटेल के प्रसार को उसकी अधिकतम क्षमता तक बढ़ाने के अवसरों की नई लहर पैदा करेगी। इससे देश के दूर-दराज के इलाकों में समावेशी विकास