भौतिक एवं आध्यात्मिक उत्थान के लिए मंत्र सिद्धि साधना परम आवश्यक -पूज्य गुरुदेव
साधना से पूर्व करें मन को तैयार: डॉ अर्चिका दीदी
फरीदाबाद (प्रातः)। आज प्रातःकालीन सत्र में मंत्र सिद्धि साधना के बारे में बोलते हुए परम पूज्य श्री सुधांशु जी महाराज ने कहा कि अनेक जन्मों की कड़ी यह जन्म है। पिछले जन्मों के संचित कर्मों का प्रभाव सौभाग्य या दुर्भाग्य के रूप में हम प्राप्त करते हैं। पूर्व जन्म के अनुसार हमें एक भूमिका मिली।
संसार के रंगमंच पर हम इसी भूमिका को जी रहे होते हैं। उसी जीवन को हम अपनी किस्मत मान लेते हैं। गुरु प्रदत्त विधी से और मंत्र से हम अपनी भूमिका बदल सकते हैं।
परम पूज्य महाराजश्री ने आगे कहा कि हमारा एक चुंबकीय प्रभाव होता है इसी चुंबकीय शक्ति के अनुसार हम ब्रह्माण्ड से सकारात्मक या नकारात्मक ऊर्जा अपनी ओर खींचते हैं। मंत्र ध्वनि का प्रयोग करके अपनी चुंबकीय शक्ति को बदल सकते हैं। अपने आभा मण्डल ठीक कर सकते हैं और घर की आभा को ठीक कर सकते हैं। गुरु मंत्र की जागृति से हम जीवन में भौतिक एवं आध्यात्मिक समृद्धि प्राप्त करते हैं तथा भगवदीयसत्ता से जुड़ते हैं।
फरीदाबाद में चल रहे पांच दिवसीय विराट भक्ति सत्संग में आज विख्यात योग एवम ध्यान गुरु डॉ. अर्चिका दीदी जी का आगमन हुआ। दीदी जी का मंच आगमन पर स्वागत श्रीमती नीलम सामंत एवम श्रीमती प्रभा अरोड़ा ने किया।
ध्यान गुरु डॉ अर्चिका जी ने कहा कि आसन के किसी भी आसन में बैठकर कमर, पीठ और गर्दन को एक सीध में रखें और स्वांस पर ध्यान केंद्रित करें। प्रत्येक स्वांस के साथ शान्त और शिथिल होते जाएं। अपने मन को आज्ञा चक्र पर केन्द्रित करें। गहराई से सांस लें और छोड़ें, परमात्मा का ध्यान करें।
जिसने जीवन में हमें सब कुछ दिया और संकट में हमारी रक्षा की। परमात्मा के प्रति रोम रोम से धन्यवाद करें। ईश्वर की कृपाओं को अपनी ओर आती हुई महसूस करें। महसूस करें कि मेरे चारों तरफ एक रक्षा कवच निर्मित हो रहा है ।
परमात्मा को हृदय से प्रणाम करें। सद्गुरु को नमन करके उनका आशीर्वाद अपने शिर पर अनुभव करें। आंतरिक रूप से मौन में उतरते जाएं और मन के विचारों को बिल्कुल शान्त कर लें।