अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर एसीपी महिला सुरक्षा मोनिका ने दिया खास संदेश,बेटियां किसी भी फिल्ड में बेटो से कम नही है
फरीदाबाद, 11 अक्टूबर। पुलिस आयुक्त राकेश कुमार आर्य के दिशा निर्देशों पर कार्रवाई करते हुए एसीपी महिला सुरक्षा मोनिका ने पुलिस आयुक्त कार्यालय में महिला थाना एनआईटी प्रभारी इंस्पेक्टर सविता औऱ पुलिस आयुक्त कार्यालय के सभी ब्रांचो के इंचार्ज अपनी टीम के साथ मौजूद रहे। पुलिस प्रवक्ता सूबे सिंह ने बताया कि हर साल 11 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है इस अवसर पर लड़कियों के अधिकारों और सशक्तिकरण की वकालत करने के लिए समर्पित एक वैश्विक पहल है। इस अवसर पर सभी पुलसिकर्मियो ने शपथ ली की आज हम सब एक संकल्प लेते है, कि हम बालक विवाह नहीं करेंगे व हम ऐसे किसी आयोजन में शामिल नहीं होंगे, जहां बाल विवाह हो रहा हो और हम यह प्रण करते हैं कि इसकी रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास करेंगे, जिससे हर बच्चा सुरक्षित, मुक्त और शिक्षित हो सके।
इस अवसर पर एसीपी महिला सुरक्षा मोनिका ने बताया कि बाल विवाह एक हानिकारक प्रथा है जो बच्चों से उनकी शिक्षा और बचपन छीन लेती है। किसी भी बच्चे को सीखने के अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए और वह हिंसा और शोषण से मुक्त भविष्य का हकदार है। बाल विवाह महिलाओं और लड़कियों को प्रभावित करता है, जिसके परिणामस्वरूप वे स्कूल छोड़ देती हैं और स्वास्थ्य जटिलताओं, घरेलू हिंसा और कम उम्र और किशोरावस्था में गर्भधारण का भी शिकार होती हैं। इस संबंध में सरकार के द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान भी चलाया जा रहा है।
जिसका उद्देश्य राज्य में बालिकाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण सुनिश्चित करना है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के सफल आठ वर्ष और अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस का जश्न मनाने के लिए शक्ति वाहिनी जिले में बाल विवाह की रोकथाम पर एक महीने का अभियान चला रही है। इस अभियान के दौरान, हम इस प्रथा को समाप्त करने के लिए सामुदायिक गतिशीलता सुनिश्चित करने के लिए जिले भर में जागरूकता पहल और सामुदायिक भागीदारी कर रहे हैं। बाल विवाह की रोकथाम पर एक महीने तक चलने वाला अभियान बाल विवाह से निपटने के लिए धरना रणनीति दृष्टिकोण अपनाने पर केंद्रित है। इसमें रोकथाम और सुरक्षा के लिए नीतिगत हस्तक्षेप शामिल है; बाल विवाह को रोकने के लिए क्षमता और संस्थानों में निवेश; स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा और सामुदायिक भागीदारी के लिए सेवाओं का अभिसरण; ज्ञान आधारित निर्णय लेना; 18 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों के लिए शिक्षा एक अधिकार, कौशल और आजीविका प्रशिक्षण और परिवर्तन के लिए प्रौद्योगिकी सुनिश्चित करना।