लाखों इंडियन गेमर्स डिमेंशिया पर जागरूकता फैलाने के लिए साथ आएंगे
बेंगलुरु : भारत में डिमेंशिया (मनोभ्रंश) का संकट लगातार बढ़ रहा है। अनुमान है कि भारत में 8.8 मिलियन लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं और यह संख्या 60 वर्ष और इससे अधिक उम्र के वयस्कों का लगभग 7.4% है। इस फौरी समस्या पर कारवाई के लिए गेमिंग प्लैटफॉर्म एमपीएल, अपने फाउंडेशन के माध्यम से, ने एक पहल आरम्भ की है। ‘गेमर्स फॉर डिमेंशिया अवेयरनेस (जीएफडीए) नामक इस अभियान का लक्ष्य लाखों गेमर्स को गोलबंद करना, डिमेंशिया के बारे में जागरूकता पैदा करना और दुर्बलता वाली इस अवस्था के जोखिम वाले या प्रभावित लोगों की सहायता करना है।
भारत का गेमिंग समुदाय, जिसमें 421 मिलियन सदस्य हैं, ने सामाजिक प्रभाव के लिए गेमिंग की ताकत का लाभ उठाने के लिए का शानदार अवसर पेश किया है। इस क्षमता को स्वीकार करते हुए, एमपीएल, अपने फाउंडेशन के माध्यम से, ने यह पहल आरम्भ करने के लिए डिमेंशिया इंडिया अलायन्स (डीआईए), वृद्धकेयर, कहा माइंड, ईपीडब्लूए (इस्पोर्ट्स प्लेयर वेलफेयर असोसिएशन), और एल्डरएड का सहयोग लिया है। यह पहल वर्ल्ड अल्ज़ाइमर्स डे यानी 21 सितम्बर से सक्रिय होगी।
एक बहुआयामी दृष्टिकोण के माध्यम से इस प्रचार अभियान के अंतर्गत डिमेंशिया से जुड़ी जानकारी की कमी दूर करने का प्रयास किया जाएगा। इस दिशा में, डिमेंशिया जागरूकता पर लक्षित एक समर्पित वेबसाइट, gameoverdementia.org लॉन्च की गई है। यह प्लैटफॉर्म एक मूल्यवान संसाधन केंद्र के रूप में काम करते हुए डिमेंशिया के लक्षणों की पहचान, निदान और रोकथाम पर जानकारी प्रदान करेगा। वेबसाइट पर विजिटर्स को डीआईए के माध्यम से निःशुल्क ऑनलाइन जाँच की सुविधा भी मिलेगी और इस प्रकार यह जानकारी और मदद के इच्छुक लोगों के लिए एक बहुमूल्य संसाधान साबित होगा। अन्य गतिविधियों में लक्षित युवा संवेदनशीलता प्रोग्राम और ऑन-ग्राउंड इवेंट्स आयोजित करके बुजुर्ग आबादी से जुड़ना शामिल हैं।
इस पहल के बारे में एमपीएल स्पोर्ट्स फाउंडेशन के मैनेजिंग ट्रस्टी, एमपीएल फाउंडेशन, दिव्यज्योति मैनाक ने कहा कि, “एमपीएल फाउंडेशन हमेशा ही सार्थक सामाजिक प्रभाव के लिए गेमिंग की ताकत का लाभ उठाने के लिए समर्पित रहा है। ‘गेमर्स फॉर डिमेंशिया अवेयरनेस’ कैंपेन में हमारी विशाल पहुँच, ऑनलाइन संसाधनों, सोशल मीडिया सहभागिता, और जमीनी स्तर पर सहायता का संयोजन है, ताकि व्यापक जन-समुदाय तक पहुँच कर सकारात्मक बदलाव को आगे बढ़ाया जा सके। हमें यकीन है कि अपने सम्मानित पार्टनर्स के साथ मिलकर हम भारत में डिमेंशिया की महामारी को संबोधित करने में महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण प्रगति हासिल कर सकते हैं।”
सहयोगपूर्ण प्रयासों के महत्व पर जोर देते हुए, डिमेंशिया इंडिया अलायन्स की प्रेसिडेंट, डॉ. राधा एस. मूर्ति ने कहा कि, “डिमेंशिया एक जटिल समस्या है, जिस पर बहुआयामी दृष्टिकोण की ज़रुरत है। गेमिंग से लेकर बुजुर्गों की देखभाल तक के विविध क्षेत्रों में कार्यरत सहयोगियों के साथ मिलकर हम एक ज्यादा जानकार और सहानुभूतिपूर्ण समाज का निर्माण कर सकते हैं।”
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ऑनलाइन प्रयासों के अलावा, यह प्रचार अभियान ऑन-ग्राउंड इवेंट्स के माध्यम से बुजुर्ग आबादी के साथ सीधा संपर्क करेगा। इस प्रकार के आयोजन वृद्धकेयर के साथ मिलकर किया जाएंगे, जो सुविधाओं से वंचित बुजुर्गों की देखभाल में विशेषज्ञ हैं। इन आयोजनों से न केवल डिमेंशिया के बारे में जागरूकता बढ़ेगी, बल्कि वरिष्ठ लोगों को व्यावहारिक सहायता भी प्राप्त होगी। एमपीएल “गेट ऐक्टिव” किट का वितरण करेगा। इस किट से बुजुर्गों को सक्रिय और स्वास्थ्यकर जीवनशैली के लिए प्रोत्साहन और डिमेंशिया के संकेतों एवं लक्षणों के बारे में शिक्षा प्राप्त होगी।
वृद्धकेयर की डायरेक्टर, गार्गी लखनपाल ने कहा कि, “डिमेंशिया बुजुर्ग आबादी में एक आम समस्या है। अल्जाइमर्स रोग इसका सबसे आम लक्षण है और भारत में इसकी घटना बढ़ रही है। हमारा मानना है कि सार्थक बदलाव की दिशा में जागरूकता पहला कदम है। इस प्रकार के कार्यक्रम के माध्यम से ही हम अपने बुजुर्ग समुदाय के संघर्षों और ज़रूरतों के बारे में बेहद जरूरी जागरूकता पैदा कर सकते हैं। इस पहल से जुड़ कर हम सम्मानित महसूस कर रहे हैं।”
आज परम्परागत पारिवारिक सहयोग ढाँचे में बदलाव, और सामाजिक-आर्थिक प्रभावों जैसे कारणों से भारत की बुजुर्ग आबादी पर मानसिक स्वास्थ्य संबंधी अनेक चुनौतियों का ख़तरा बढ़ रहा है। बुजुर्गों में मानसिक स्वास्थ्य के महत्व की चर्चा करते हुए, कहा माइंड की फाउंडर और सीईओ, आकृति जोअन्ना ने कहा कि, “बुजुर्गों के लिए मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनकी संज्ञानात्मक क्षमताओं और सामान्य स्वास्थ्य पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है। बुढ़ापा आने की प्रक्रिया के दौरान उच्च गुणवत्तापूर्ण जीवन सुनिश्चित करने के लिए यह एक बुनियादी पहलू है। हमें बुजुर्गो के स्वास्थ्य में सहायता के लिए उनकी मानसिक सेहत को अनिवार्य रूप से प्राथमिकता देनी चाहिए।”
वरिष्ठ नागरिकों के जीवन में सुधार के प्रति समर्पित संगठन, एल्डरएड सक्रिय जीवनशैली के महत्व पर जोर देता है। एल्डरएड की चीफ इवैन्जलिस्ट और को-फाउंडर, डॉ. वंदना नाडिग नायर ने कहा कि, “हमारा दृढ़ विश्वास है कि बुजुर्गों के लिए सक्रिय और स्वास्थ्यकर जीवनशैली को प्रोत्साहित करने से संज्ञानात्मक स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव पड़ सकता है। ‘गेमर्स फॉर डिमेंशिया अवेयरनेस’ कैंपेन हमारे मिशन से बिलकुल मेल खाता है। बुजुर्गों को शारीरिक और मानसिक, दोनों रूप से सक्रिय बने रहने के लिए प्रोत्साहित करके हम उनके संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।”
इस प्रचार अभियान के तहत, एमपीएल फाउंडेशन डिमेंशिया जागरूकता में सहयोग के लिए पाँच प्रतिज्ञायें करने के लिए गेमर्स के प्रोत्साहन में सहयोग करेगा। प्रतिज्ञाओं में बुजुर्गों के साथ बढ़िया समय बिताने की वचनबद्धता, डिमेंशिया के संकेतों की पहचान, सहायता प्राप्त करने में बुजुर्गों की मदद करना, बुजुर्गों को मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से सक्रिय रहने के लिए प्रोत्साहित करना, और बुजुर्गों को ऑनलाइन गेमिंग एवं दूसरे संज्ञानात्मक उदीपन वाली गतिविधियों से जोड़ना शामिल हैं।
ऑनलाइन गेमर्स/ईस्पोर्ट्स प्लेयर्स की प्रतिनिधि संस्था, ईपीडब्लूए गेमिंग कम्युनिटी में जागरूकता बढ़ाने के लिए अपनी आवाज प्रदान करेगा। जागरूकता बढ़ाने में गेमिंग कम्युनिटी की भूमिका के बारे में, ईपीडब्लूए की डायरेक्टर, शिवानी झा ने कहा कि, “ईस्पोर्ट्स और गेमिंग गंभीर मुद्दों पर जागरूकता पैदा करने के लिए शक्तिशाली साधन हैं। हमें यकीन है कि गेमर्स के उत्साह और प्रभाव का प्रयोग करके हम डिमेंशिया के लिए जागरूकता और सहयोग बढ़ाने में वास्तविक और सार्थक प्रभाव उत्पन्न कर सकते हैं। समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और डिमेंशिया से लड़ाई में कोई अकेला नहीं रहे, इसे सुनिश्चित करने के बड़े मुद्दे पर बस हमारे कम्युनिटी के जूनून का लाभ उठाने की ज़रुरत है।”