ज़ेल एजुकेशन के अध्ययन में पता चला कि फाइनेंस और अकाउंटिंग कोर्सेज़ में महिलाओं के नामांकन में 25% की वृद्धि हुई
जागरूकता में बढ़ोतरी, वित्तीय साक्षरता, और जेंडर भूमिकाओं का खत्म होना कुछ मुख्य कारक हैं जो महिलाओं को इन पुरुष प्रधान नौकरी की भूमिकाओं में आने के लिए प्रेरित करते हैं
NEW DELHI : भारत के एक अग्रणी फाइनेंस एवं अकाउंट्स एजुकेशन टेक्नोलॉजी प्लैटफॉर्म, ज़ेल एजुकेशन द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार फाइनेंस और अकाउंटिंग से संबंधित कोर्सेज़ में नामांकन करने वाली महिलाओं की संख्या में 25% की उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई है। नामांकन में इस तेज़ी के कई कारण हो सकते हैं, जिसमें सबसे मुख्य कारण है महिलाओं में वित्तीय साक्षरता के महत्व को मिल रही मान्यता में बढ़ोतरी, जो उन्हें इस क्षेत्र में अपने ज्ञान और कौशल में वृद्धि करने के अवसर ढूंढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है। दूसरा, पारंपरिक रूप से पुरुष प्रधान क्षेत्रों में लैंगिक असमानता को कम करने के लिए ध्यान में रखकर किए गए प्रयासों के कारण विभिन्न कार्यक्रम और अभियान शुरू किए गए ताकि इन क्षेत्रों में महिलाओं को करियर बनाने के लिए बढ़ावा दिया जा सके।
इस विषय का ज्ञान प्राप्त करने के लिए उत्साह और एजुकेशन टेक्नोलॉजी प्लैटफॉर्म्स द्वारा प्रदान की गई सुविधा और लचीलेपन के संयोजन ने भारी संख्या में महिलाओं को आकर्षित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ज़ेल एजुकेशन द्वारा हाल ही किए गए सर्वेक्षण में महिलाओं द्वारा किए गए नामांकन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है जो साल 2021 के 15% की मामूली बढ़ोतरी की तुलना में 43% की आकर्षक वृद्धि तक पहुँच गई है। इतना ही नहीं, साल 2022 में फाइनेंस और अकाउंटिंग कोर्सेज़ की मांग में 40% की ज़बरदस्त वृद्धि देखी गई है। लोगों को प्रेरित करने वाले पारंपरिक कारकों के साथ ही, वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में अस्थिरता के कारण जटिल वित्तीय अनिश्तितताओं में से राह निकालने के लिए कौशल विकसित करने की आवश्यकता के बारे में महिलाओं के बीच जागरूकता काफी बढ़ी है।
महिला छात्राओं का जनसांख्यिकीय विश्लेषण करें तो, इनमें से 75% महानगरीय क्षेत्रों से आती हैं और शेष 25% टियर II और टियर III शहरों से आती हैं। विशेष रूप से महानगरीय क्षेत्रों में शैक्षणिक संस्थान अधिक संख्या में मौजूद हैं, जिसमें प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय, कॉलेज और पेशेवर प्रशिक्षण केंद्र शामिल हैं। हालांकि, यह बात ध्यान देने योग्य है कि छोटे नगरों और शहरों की महिलाओं की मौजूदगी उल्लेखनीय है जो कुल मिलाकर सीखने वालों की आबादी का करीब 25% है। यह दर्शाता है छोटे शहरी केंद्रों में शिक्षा के प्रति रूचि में वृद्धि हुई है और शिक्षा तक पहुँच में भी सुधार हुआ है। शैक्षणिक सुविधाओं में वृद्धि, करियर को लेकर अत्यधिक जागरूकता और ऑनलाइन लर्निंग प्लैटफॉर्म्स की उपलब्धता सहित कई अन्य कारकों का योगदान है जो इस ट्रेंड को समझने में मदद करते हैं।
ज़ेल एजुकेशन द्वारा जारी किए गए इन आंकड़ों पर श्री अनंत बेंगानी, डायरेक्टर एवं सह-संस्थापक ने कहा, “जेंडर गैप को खत्म करने के विजन के कारण आखिरकार हमें कुछ ज़बरदस्त ट्रेंड्स देखने को मिल रहे हैं। जैसे जैसे वित्तीय साक्षरता के बारे में जागरूकता बढ़ रही है और अब उल्लेखनीय संख्या में महिलायें अपने कॅरियर एवं भविष्य में सजगता से निवेश कर रही हैं तो इसके चलते पारंपरिक रूप से पुरूषों के दबदबे वाले शैक्षणिक क्षेत्रों और इसके फलस्वरूप उद्योगों में महिला छात्राओं की संख्या में भारी तेज़ी देखना एक रोमांचकारी अनुभव है। कुल मिलाकर आर्थिक अनिश्चितताएं, बाज़ार की अस्थिरता और वित्तीय संकट शैक्षणिक मांग में तेज़ी जारी रखेंगे। आने वाले वर्ष में इन कोर्सेज़ में हम 35% की बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं।”
फाइनेंस और अकाउंटिंग में कोर्सेज एवं सर्टिफिकेशंस के लिए पुरुषों एवं महिलाओं के बीच का अनुपात लगभग 65:35 है। हालांकि, पुरुषों और महिलाओं, दोनों में ही एसीसीए, सीएफए, यूएस सीपीए, यूएस यीएमए और आईआफआरएस में डिप्लोमा, जैसे 5 टॉप कोर्सेज़ की मांग बहुत ज़्यादा है।