श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय सीनियर सेकेंडरी स्कूल 10 मानकों में 100 प्रतिशत
जवाहर नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय और स्कूलों की अन्य सभी श्रेणियों में सबसे ऊपर रहा प्रदर्शन
फरीदाबाद, 14 जून। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय सीनियर सेकेंडरी स्कूल का मॉडल सुपर साबित हुआ है। इस स्कूल ने दसवीं कक्षा के अपने पहले ही परीक्षा परिणाम में सभी श्रेणियों में दूसरे स्कूलों को पीछे छोड़ दिया है। 10 मानकों में स्किल स्कूल दूसरे स्कूलों से अव्वल रहा है। इस स्कूल ने केंद्रीय विद्यालय और जवाहर नवोदय विद्यालय से भी शानदार प्रदर्शन किया है। सीबीएसई के आंकड़ों के विश्लेषण ने स्किल स्कूल को सर्वश्रेष्ठ घोषित किया है।
श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि यह देश में स्कूल स्तर पर कौशल शिक्षा का पहला और अनुपम मॉडल है। दसवीं कक्षा के पहले ही परीक्षा परिणाम से साबित हो गया है कि बच्चों ने स्किल कोर्स और पाठ्यक्रम में शानदार प्रदर्शन किया है। आंकड़ों के 10 मानकों में यह स्किल स्कूल शत प्रतिशत रहा है। सीबीएसई का परीक्षा परिणाम 93.12 प्रतिशत रहा जबकि स्किल स्कूल का परिणाम 100 प्रतिशत रहा। सीबीएसई के परीक्षा परिणाम में लड़कियों का पास प्रतिशत 94.25 रहा और लड़कों का पास प्रतिशत 92.27 फीसदी, जबकि स्किल स्कूल का परिणाम दोनों वर्गों में शत प्रतिशत रहा। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि आज की दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक बड़ी क्रांति के रूप में उभर रहा है। इस महत्वपूर्ण विषय में स्किल स्कूल के 2 विद्यार्थियों ने 100 में से 100 नंबर लेकर साबित किया है कि स्कूल स्तर पर बच्चे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में कितनी कामयाबी हासिल कर सकते हैं।
इस मॉडल में स्किल एजुकेशन को नौवीं कक्षा से ही इंटीग्रेट किया गया है। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि सामान्यतः स्कूल स्तर पर बहुत से विद्यार्थियों का ड्रॉप आउट हो जाता है। उसके बाद ना उनके पास कोई सर्टिफिकेट होता और ना ही कोई कौशल होता। नौवीं और दसवीं क्लास के सर्टिफिकेट उनके कुछ काम नहीं आते, लेकिन इस स्कूल में विद्यार्थियों के लिए कोई ना कोई कौशल विषय लेना अनिवार्य है। इस हिसाब से दसवीं के बाद भी वह विद्यार्थी जॉब मार्केट के लिए तैयार हो जाते हैं। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि युवाओं की दिलचस्पी और उनकी अपेक्षाओं के अनुसार ही कोर्स तैयार किए गए हैं। स्कूल में उन्हें अनेकों ऐसे विकल्प मिलते हैं, जिससे उन्हें लगता है कि उनके ऊपर कोई विषय थोपे नहीं गए हैं। जो विद्यार्थी गणित में अच्छे नहीं हैं मल्टीपल कोर्स होने के कारण वह विज्ञान में आगे बढ़ सकते हैं और जो विज्ञान में इतने अच्छे नहीं हैं वह कौशल विषयों में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि इस मॉडल के अनुसार दसवीं के बाद ग्रॉस इनरोलमेंट रेशो बढ़ेगा। विद्यार्थियों को सरल और दिलचस्प विकल्प मिलेंगे तो ड्रॉपआउट नहीं होगा और उन्हें अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का अवसर इसके माध्यम से मिलेगा। श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय सीनियर सेकेंडरी स्कूल का सबसे बड़ा फायदा यह भी है कि यह स्कूल कौशल विश्वविद्यालय के साथ एकीकृत है। इसलिए विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय के शिक्षकों से पढ़ने और सीखने का अवसर भी मिलता है।
कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि इसी मॉडल को देखते हुए हरियाणा में 10 नए स्किल स्कूल खोलने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। पारंपरिक पाठ्यक्रम की बजाय अब विद्यार्थियों को स्किल विषयों की ओर ले जाना समय की जरूरत है। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि यदि हमें वैश्विक स्तर पर स्पर्धा में आगे निकलना है तो अपनी अगली पीढ़ी को कौशल देना होगा। यदि हमारे बच्चे कौशल शिक्षा के साथ जुड़ेंगे तो यह देश के विकास की दिशा में सार्थक कदम होगा। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, इंडस्ट्री में अन्वेषण और उत्पादकता की गुणवत्ता बढ़ेगी।
स्किल स्कूल के प्रिंसिपल डॉ. जलबीर जाखड़ का कहना है कि यह श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राज नेहरू का एक अद्भुत नवाचार है। उन्होंने स्कूल स्तर पर स्किल कोर्स बच्चों को पढ़ाने के बारे में सोचा और उसे लागू किया। मॉडल को अपनाने के लिए देश के कई राज्य काफी उत्सुक हैं और श्री विश्वकर्मा कौशल विषय के स्किल स्कूल का दौरा भी कर चुके हैं। इस स्कूल की सफलता को देखते हुए ही हरियाणा सरकार ने 10 नए इनोवेटिव स्कूल स्कूल खोलने का फैसला लिया है।