केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने किया जेनेरिक दवाइयों की दुकान का शुभारंभ
फरीदाबाद,14 मई। मोदी जी कहते है जिस देश का नागरिक स्वस्थ नहीं होगा वह देश कभी मजबूत देश नहीं बन सकता। देश तभी आगे बढ़ेगा जब उसका एक एक नागरिक स्वस्थ होगा। भारत सरकार के भारी उद्योग और ऊर्जा विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने आज फरीदाबाद सेक्टर-37 में प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना के अंतर्गत जेनेरिक दवाइयों की दुकान का शुभारंभ रिबन काट कर विधिवत रूप से किया। केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है कि हर गरीब व्यक्ति को अच्छा इलाज मिले।
आज इस महंगाई के युग में लोगों का इलाज कराना और उसके बाद महंगी दवाइयां लेना उनकी पहुंच से बाहर था। लेकिन अब दवाइयां आम आदमी की पहुंच में हो इसलिए पुरे देश में प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना के अंतर्गत जेनरिक दवाइयों के स्टोर खोले गए हैं। आज हजारों की संख्या में पूरे देश में इस तरह के जेनेरिक दवाइयों के स्टोर खोले गए हैं और लाखों लोगों को इसका फायदा मिल रहा है। इन स्टोर्स पर 70 से 80त्न तक का डिस्काउंट दवाइयों पर मिल जाता है। यहां मिलने वाली दवाइयों में सिर्फ नाम और साल्ट का फर्क होता है बाकी दवाई वही होती है। आज बहुत सस्ती दवाइयां आम आदमी को मिलने लगी है। यह मोदी सरकार का एक बहुत बड़ा ऐतिहासिक कदम है कि इस देश के लोगों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने का जो सपना है देश में वह तेजी से साकार हो रहा है।
क्या होती है जेनेरिक दवाएं और क्यों होती हैं इतनी सस्ती
आपको बता दे कि किसी एक बीमारी के इलाज के लिए तमाम तरह की रिसर्च और स्टडी के बाद एक रसायन (साल्ट) तैयार किया जाता है जिसे आसानी से उपलब्ध करवाने के लिए दवा की शक्ल दे दी जाती है। इस साल्ट को हर कंपनी अलग-अलग नामों से बेचती है। कोई इसे महंगे दामों में बेचते है तो कोई सस्ते। लेकिन इस साल्ट का जेनेरिक नाम साल्ट के कंपोजिशन और बीमारी का ध्यान रखते हुए एक विशेष समिति द्वारा निर्धारित किया जाता है। किसी भी साल्ट का जेनेरिक नाम पूरी दुनिया में एक ही रहता है। जहां पेंटेट ब्रांडेड दवाओं की कीमत कंपनियां खुद तय करती हैं वहीं जेनेरिक दवाओं की कीमत को निर्धारित करने के लिए सरकार का हस्तक्षेप होता है।जेनेरिक दवाओं की मनमानी कीमत निर्धारित नहीं की जा सकती। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, डॉक्टर अगर मरीजों को जेनेरिक दवाएं प्रिस्क्राइब करें तो विकसित देशों में स्वास्थ्य खर्च 70 परसेंट और विकासशील देशों में और भी अधिक कम हो सकता है।