फरीदाबाद के अमृता अस्पताल में दुर्लभ दिल की बीमारी वाले दो नवजातों का आर्टेरियल स्विच ऑपरेशन हुआ
फरीदाबाद,11 अप्रैल। फरीदाबाद के अमृता अस्पताल में दो शिशुओं, सात दिन की लड़की और 23 दिन के लड़के का सफलतापूर्वक धमनी स्विच ऑपरेशन किया। दोनों को खतरनाक और असामान्य जन्मजात हृदय दोष था, जिसे ट्रांसपोजि़शन ऑफ़ द ग्रेट आर्टरीज़ (टीजीए) कहा जाता है। विशेषज्ञों की एक टीम द्वारा छह घंटे की जटिल सर्जरी की गई, जिन्होंने सफलतापूर्वक बीमारी का इलाज किया और शिशुओं को स्वस्थ जीवन का उपहार दिया। ग्रेट आर्टरीज़ के ट्रांसपोजिशन में दो मुख्य धमनियों का स्थान जो हृदय से रक्त ले जाती हैं – मुख्य पल्मोनरी धमनी और महाधमनी की स्थिति बदल जाती है। यदि यह स्थिति अनुपचारित छोड़ दी जाती है, तो मृत्यु निश्चित है। अमृता अस्पताल के बाल चिकित्सा और जन्मजात हृदय सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. आशीष कटेवा ने कहा, “टीजीए का डायग्नोसिस मृत्यु वारंट की तरह है, और इनमें से 90त्न बच्चे जीवन के पहले वर्ष से अधिक जीवित नहीं रहते हैं। दूसरी ओर, यदि समय रहते सर्जरी की जाती है, तो इनमें से 95त्न से अधिक बच्चे सामान्य जीवन जीने में सक्षम हो सकते हैं।
यह एक तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन है, जिसमें गलती की कोई गुंजाइश नहीं है। इस सर्जरी की चुनौतियों के बारे में बात करते हुए, डॉ. कटेवा ने कहा, “सर्जरी में आमतौर पर 5 से 6 घंटे लगते हैं। ऑपरेशन का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा छोटी कोरोनरी धमनियों को हटाना और उन्हें नव-महाधमनी में टांका लगाना है। ये धमनियां केवल 2 मिमी मापती हैं, और कोई भी अपूर्णता छोटी और लंबी अवधि के परिणामों को प्रभावित कर सकती है। एक बार कनेक्शन बन जाने के बाद, बच्चे को हृदय और फेफड़े की मशीन से अलग कर दिया जाता है।” अमृत नाम के 23 दिन के लड़के का जन्म एक ऐसी मां से हुआ था, जो गर्भावस्था के दौरान पहले ही तीन बच्चों को खो चुकी थी। यह उसका पहले जीवित बच्चे का जन्म था। दूसरी शिशु, अमृता नाम की 7 दिन की बच्ची भी अपने माता-पिता की पहली संतान थी। रेस्पिरेटरी सपोर्ट और जीवनरक्षक दवाओं के साथ उसे एंबुलेंस में अस्पताल लाया गया था। अमृता अस्पताल के बाल चिकित्सा कार्डियोलॉजी और वयस्क जन्मजात हृदय रोग के उप प्रमुख और प्रधान सलाहकार डॉ. सुशील आज़ाद ने ट्रांसपोजि़शन ऑफ़ द ग्रेट आर्टरीज का इलाज के बारे में बात करते हुए कहा, “हृदय रोग विशेषज्ञ छोटे रोगियों (बच्चों) के हॉस्पिटल आने के बाद हृदय का अल्ट्रासाउंड करते हैं, डायग्नोसिस बनाते हैं और ऑपरेशन के लिए आवश्यक सभी जानकारी देते हैं।
कभी-कभी, सर्जरी से पहले ऑक्सीजनेशन बढ़ाने के लिए दिल के ऊपरी चैम्बर्स के बीच एक छेद बनाया जा सकता है।” डॉ. कटेवा ने आगे कहा, “सर्जरी के लिए हार्ट-लंग मशीन की आवश्यकता होती है, और सर्जिकल टीम बच्चे की छाती में चीरा लगाकर दिल तक पहुंचती है। इसके बाद हार्ट-लंग मशीन को बच्चे के दिल से जोड़ा जाता है। इस मशीन की सहायता से, पर्फ्युज़निस्ट बच्चे के जीवन को बनाए रखता है जबकि सर्जन उसकी सर्जरी करता है। पल्मोनरी धमनी और महाधमनी जो गलत तरीके से जुड़ी हुई थी, उन्हें अलग और अपने उचित स्थानों पर वापस जोड़ दिया जाता है, जिसके बाद लाल रक्त शरीर में प्रवेश और नीले रक्त को फेफड़ों में ठीक से प्रवाह होने लगता है, जैसा की होना चाहिए। अमृता हॉस्पिटल के पीडियाट्रिक कार्डिएक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट डॉ. जुनैद भट ने कहा, “सर्जरी के दौरान बच्चे को सुरक्षित और स्थिर रखने में एनेस्थेसियोलॉजिस्ट महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वो एयरवे और कई मॉनिटरिंग लाइनों को सुरक्षित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं। सर्जरी के बाद, छाती को बंद कर दिया जाता है और बच्चे को ठीक होने के लिए आईसीयू में ले जाया जाता है। इंटेंसिविस्ट, कार्डियक नर्स, फिजियोथेरेपिस्ट और डायटीशियन की एक विशेषज्ञ टीम आईसीयू में रहने के दौरान शिशु की देखभाल करती है, जो आमतौर पर 4 से 5 दिनों तक रहता है। उसके बाद, बच्चे को पोस्ट-ऑपरेटिव वार्ड में ले जाया जाता है। अस्पताल से घर तक एक सहज रिकवरी सुनिश्चित करने के लिए मां को देखभाल प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।” दोनों शिशुओं की सर्जरी सफल रही। केवल 2.3 किग्रा के वजन और पोस्ट-ऑपरेटिव रिकवरी के दौरान वायरल निमोनिया जैसी कठिनाइयों के बावजूद, लड़के ने अच्छी रिकवरी की है और वर्तमान में उसका वजन 4.5 किग्रा है। उसने आईसीयू में चार सप्ताह बिताए। दूसरी ओर, 7 दिन की बच्ची की पोस्ट-ऑपरेटिव रिकवरी भी काफी बेहतरीन थी और सर्जरी के एक सप्ताह बाद उसे छुट्टी दे दी गई।