शिक्षा संस्थानों को इस्कॉन के साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है
*उत्कर्ष 2023- युवाओं को जीवन की राह दिखता इस्कॉन का अनोखा कार्यक्रम
30 अप्रैल 2023 को इस्कॉन फरीदाबाद द्वारा उत्कर्ष महोत्सव का आयोजन किया गया। इस्कॉन फरीदाबाद के यूथ विंग द्वारा हर वर्ष आयोजित इस उत्सव के इस वर्ष के आकर्षण का मुख्य केंद्र रहे इस्कॉन के विश्व प्रसिद्ध परम पूज्य गुरु अमोघ लीला दास। डी.ए.वी. सेंटेनरी कॉलेज फरीदाबाद के हरे कृष्ण महामंत्र से तरंगित आडिटोरियम में अमोघ लीला प्रभु के प्रवेश करते ही वतावरण ऊर्जायित हो उठा।
अमोघ लीला प्रभु एक संत होने के साथ-साथ एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर भी हैं। वह अपने अनूठे अंदाज़ में दिए गए रोचक व प्रेरक वक्तव्यों से निरंतर युवाओं को प्रेरित करते हैं। यूट्यूब, इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया पर उनके लाखों फॉलोवर्स हैं तथा उनके प्रत्येक वीडियो को लाखों की संख्या में देखा जाता है।
विशेष रूप से युवाओं में सांस्कृतिक चेतना जागृत करने, उन्हें जीवन के मार्ग को सहज सरल तरीके से जीने के लिए मार्गदर्शन देने के उद्देश्य से आयोजित इस कार्यक्रम में अमोघ लीला प्रभु ने युवाओं की भाषा में ही बात करते हुए बताया कि जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए हमें कुछ एप्स को डाउनलोड कर जीवन में इंस्टॉल करने की आवश्यकता है। इन एप्स में मुख्य हैं, सम्बन्ध, क्षमा और सफलता। इनपर विस्तार से बात करते हुए प्रभुजी ने अपने चिरपरिचित रोचक व मनोविनोद पूर्ण तरीके से उदाहरण देते हुए समझाया।सभागार में उपस्थित लगभग 1000 लोग दो घण्टे तक अनवरत मंत्रमुग्ध हो सुनते रहे । अंत में प्रभुजी ने अनेक प्रश्नों के उत्तर भी दिए।
अमोघ लीला दास जी का कहना था कि वास्तविक सफलता इसमें है कि जीवन में उतार आएं या चढ़ाव कैसी भी परिस्थिति हो मनुष्य को चलते रहना चाहिए।
इस्कॉन के संस्थापकचार्य श्रील प्रभुपाद जी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि 43 वर्ष तक प्रभुपाद को सफलता नहीं मिली। किंतु वह अडिग रहे, निष्ठा से कृष्ण भावनामृत का प्रचार करते रहे और अंत के 11 वर्ष उन्हें अपार सफलता प्राप्त हुई।
भगवान कृष्ण ने भी गीता में कहा है कि लाभ मिले या हानि, यश मिले या अपयश जीवन मे आगे बढ़ते रहें।
कार्यक्रम के आरम्भ में भूमिका बनाते हुए संचालिका प्रगति माताजी ने बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न किया कि हमें इस बात पर विचार करने की आवश्यकता है कि क्या आध्यात्मिकता सिर्फ बुज़ुर्ग लोगों के लिए है। यदि वृद्धावस्था में जीवन जीने का तरीका सीखेंगे तो उसे लागू कब करेंगे।
डी.ए.वी. सेंटेनरी कॉलेज की प्रिंसिपल श्रीमती सविता भगत ने अपनी बात रखते हुए शिक्षा नीति 2020 का हवाला दिया कहा कि नई शिक्षा नीति में छात्रों के समग्र विकास पर बल दिया है। उनका कहना था कि भारत विश्वगुरु तभी बनेगा जब आने वाली पीढ़ी आध्यात्मिकता से जुड़ेगी। इसके लिए शिक्षा संस्थानों को इस्कॉन के साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।
अंत में आभार व्यक्त करते हुए इस्कॉन फरीदाबाद के अध्यक्ष माननीय गोपेश्वर दास जी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि युवाओं का आध्यात्मिकता से जुड़ना आज की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि इस्कॉन सेक्टर 37 फरीदाबाद में नियमित रूप से ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिनसे जीवन को बेहतर ढंग से जीने में मदद मिलती है और समाज को बेहतर बनाने वाली अच्छी आदतों को अपने जीवन में शामिल किया जा सकता है। 6 मई से ऐसा ही एक कार्यक्रम ‘स्वयं को जानें’ आरम्भ हो रहा है। इसमें किसी भी आयु वर्ग के लोग जुड़ सकते हैं।
कार्यक्रम में फरीदाबाद के कई स्कूलों व कॉलेजों के प्रधानाचार्य, शिक्षक व छात्र उपस्थित रहे।