5 दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का हुआ समापन समारोह
फरीदाबाद, 29 अप्रैल। जे. सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के संचार एवं मीडिया प्रोद्योगिकी विभाग व रिसर्च एवं डेवलपमेंट सेल के सह सहयोग से अयोजित 5 दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का समापन समारोह सम्पन्न हुआ। समापन समारोह की अध्यक्षता संस्थान कुलपति प्रो. एस.के. तोमर ने की, जिसमें मुख्य अतिथि श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति श्री. राज नेहरू और विशिष्ट अतिथि जगगन्नाथ इंस्टीट्यूट के निर्देश डॉ. रवि के. धर भी उपस्थित रहे। सत्र की शुरुवात मां सरस्वती के पूर्व ज्योति प्रज्वलन एवं वंदना से हुई। सभा को संबोधित करते हुए विभागाध्यक्ष डॉ पवन सिंह मलिक ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। संबोधन के आरंभ में उन्होंने समापन समारोह में उपस्थित संस्थान कुलपति एवं कुलसचिव, सभी गणमान्य अतिथियों, प्रतिभागियों, समन्वयकों एवं विद्यार्थियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
उन्होंने फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम को उच्च शिक्षा प्रदान करने वाली पायनियर अभ्यास के रूप में उल्लेख किया। स्किल्स री- इंजीनियरिंग का महत्व बताते हुए उन्होंने शिक्षा एवं तकनीकि क्षेत्रों में तेजी से होने वाले बदलावों की चर्चा करते हुए अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम अध्यक्ष एवं संस्थान कुलपति, प्रो. एस. के. तोमर ने अपने व्यक्तिगत उदाहरणों और अनुभवों को विस्तार में बताते हुए, एफडीपी के इतिहास का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि कैसे 1980 में आई इस प्रक्रिया को शिक्षा प्रणाली में शामिल किया गया और कैसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, इस प्रक्रिया का विस्तार करती है। उन्होंने रिसर्च शोध कार्य की महत्व को बताते हुए, वर्तमान के ट्रेंड्स की व्याख्या करी। उन्होंने बताया की कैसे ज्ञान एक शक्ति है, जो बिना वार्तालाप के गायब हो जाती है।
मीडिया विभाग को बधाई देते हुए और भविष्य में आगे नई तकनीकों को नियोजित करके, ऐसे ही कार्यक्रम आयोजित करने की प्रेरणा देते हुए, उन्होंने अपना संबोधन समाप्त करा। विशिष्ट अतिथि जगगन्नाथ इंस्टीट्यूट निर्देशक डॉ. रवि के. धर ने सभा में स्वयं को एक शिक्षाविद् के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा कि वो व्यवस्थापक या प्रशासक नहीं बल्कि एक शिक्षाविद् है, एक जिज्ञासु छात्र है जिसे ऑफिस से कई गुना ज्यादा कक्षा पसंद है। उन्होंने आसान भाषा में गुरु और शिक्षक के भूमिकाएं बताई। उन्होनें ऋषि परंपरा से चलती आ रही “पौराणिक वैदिक सभ्यता” एवं “औपनिवेशिक प्रणाली” का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे अंग्रेजों की प्रणाली एक “शिक्षा का कारखाना मॉडल” थी। वर्ष 2020 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी की गई “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020” के संदर्भ के बारे में बताया। साथ ही साथ उन्होंने विद्यार्थी के जीवन में निहित नि स्वार्थ शिक्षा कार्य को सबसे बड़ी सेवा के रूप में प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति श्री राज नेहरू ने फेडडीपी कार्यक्रम के विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए संबोधन की शुरुवात करी।
उन्होंने शोधकर्ता के लक्षणों की चर्चा की साथ उनके भीतर के जुनून और दृष्टिकोण के बारे में बताया। जब बालक बचपन में अपने दिमाग से नए नए प्रयोग करता है या सवाल करता है तो उसे रोकना नहीं चाहिए बल्कि प्रोत्साहित करना चाहिए। वर्तमान के संदर्भ में भारत का महत्व बताते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “पंच प्राणों” को मंच से बताया। उन्होंने बताया कि जो राष्ट्र अनुसंधान में निवेश करते है और विश्व अनुसंधान सूची में आगे रहते हैं, वो विकसित राष्ट्र की सूची में आते हैं। इस दिशा में मीडिया विभाग 5 दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम की महत्त्वता बहुत अधिक है। समापन समारोह में एफडीपी कॉर्डिनेटर डॉ. सोनिया हुड्डा और डॉ. सुधीर नथाल ने औपचारिक रिपोर्ट प्रस्तुत करी, जिसके पूर्व सभी सम्मिलित शिक्षा संकाय का स्वागत हुआ। समापन समारोह सत्र का संचालन सहायक प्रोफेसर डॉ. के.एम. ताबिश द्वारा संचालित गया। साथ ही सहायक प्रोफेसर डॉ. राहुल आर्य ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।