फरीदाबाद जिला में मोबाइल वैन द्वारा मोटे अनाज उत्पादन के लिए किसानों को किया जा रहा है जागरूक
फरीदाबाद। डीसी विक्रम सिंह ने कहा कि सभी लोग स्वस्थ जीवन शैली के लिए खाने में मोटे अनाज का इस्तेमाल करें। वहीं फरीदाबाद जिला में दो मोबाइल वैन द्वारा मोटे अनाज उत्पादन के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। डीसी विक्रम सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा जारी हिदायतों के अनुसार आजादी के अमृत महोत्सव की श्रंखला में ये मोबाईल वैन गांव-गांव जाकर किसानों को मोटे अनाज के उत्पादन के लिए जागरूक कर रही हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2022- 2023 के तत्वाधान
डीसी विक्रम ने जानकारी देते हुए बताया की जिस प्रकार हमारे परिवारो में बीमारियां बढ़ती जा रही है। उसको रोकने का एकमात्र उपाय मोटा अनाज है जिसमें पौष्टिक फाइबर प्रचुर मात्रा में शरीर को प्राप्त होते हैं और बीमारियों से लडऩे की शक्ति शरीर को प्राप्त होती है। हमें चाहिए की धीरे-धीरे गेहूँ तथा धान की फसल से निकलकर बाजरा, जौ, रागी व कनकी जैसी फसलों पर आना चाहिए। उन्होंने बताया कि विभिन्न माध्यमों से मिलेट्स को बढ़ावा देने को लेकर समय-समय पर लोगों में जागरूकता शिविरों का आयोजन किया जाना बेहद आवश्यक है साथ ही साथ मिलेट्स जागरूकता कार्यक्रम को अधिकांश शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में चलाया जाना चाहिए। जिससे जहाँ किसान की आमदनी बढ़ेगी और शहरी क्षेत्रों में पनप रही बीमारियों से भी निजात मिलेगी। डीसी ने किसानों को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2022- 2023 के अंतर्गत अधिक से अधिक मोटे अनाज के उत्पादन का आह्वान किया और कहा की ज्वार, बाजरा, रागी जैसी फसलों के उत्पादन से फसल चक में भी विविधता आती है।
इसका मुख्य लाभ यह होता है की मृदा के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पडता है। साथ ही इस मुहिम से आमजन के स्वास्थ्य में भी सुधार होगा जिससे किसानों को आर्थिक स्तर पर भी लाभ होगा। फरीदाबाद जिला में मोटे अनाज अनाज की आवश्यकता के विषय में ज्ञान प्राप्त करके वे स्वयं भी अपने-अपने क्षेत्र के गांव में जाकर व किसानों को जागरूक कर रहे हैं तथा किसानों को मोटे अनाज की पैदावार के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है । कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डॉ. पवन शर्मा ने किसानो को आह्वान किया है कि समाज में फैल रही बीमारियों का मुख्य कारण हमारी आहार श्रृंखला में गेहूं एवं धान के नियमित सेवन रहा है। उन्होंने कहा कि आज से चालीस-पचास साल पूर्व विशेष मेहमानों के आने पर ही परिवार में गेहूं से निर्मित आहार प्राप्त होता था अन्यथा जौ, चना,ज्वार, बाजरा, बैजर की रोटियां लोगों के भोजन की थाली की शोभा बढाती थी।
उन्होंने कहा कि भारत में 1980 के दशक के दौरान हरित क्रांति के बाद धीरे-धीरे मोटे अनाज के उत्पादन में कमी आती चली गई जिसका प्रभाव यह हुआ की हम बीमारियों की ओर अग्रसर होते चले गये। जिसका नतीजा यह हुआ है कि आज समाज में बी0पी0, शुगर, कैंसर जैसी महामारियां हर दूसरे व्यक्ति को घेरे हैं और जो फसलों का उत्पादन बढऩे से किसानों की आय बढ़ी है वह डॉक्टर तथा अस्पतालों से स्थानांतरित हो गई है। डॉ. पवन शर्मा ने आगे कहा कि यूएनओ के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023 की घोषणा का मुख्य उद्देश्य यह है कि इन परिस्थितियों को बदल कर पुन: स्वस्थ समाज का निर्माण करना है। जिस कड़ी में सरकार द्वारा जारी हिदायतों के अनुसार आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में जिला में गांव- गांव जाकर यह वैने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के माध्यम से किसानों को जागरूक कर रहा है और किसान भी आज की आवश्यकता को देखते हुए मोटे आज के उत्पादन की ओर अग्रसर हो रहे हैं। मोबाइल वैन के द्वारा जिला के सभी गांवों में लोगों को जागरूक किया जा रहा है।