Iskcon | 7 मार्च को ‘गौर पूर्णिमा महोत्सव’ मनाया गया
Faridabad (अतुल्य लोकतंत्र ): इस्कॉन फरीदाबाद सेक्टर 37 मंदिर व पूरे विश्व में इस्कॉन मन्दिरों द्वारा कलियुग के स्वर्ण अवतार चैतन्य महाप्रभु के आविर्भाव दिवस के रूप में मनाया गया। कृष्ण भगवद्गीता में कहते हैं कि वह हर युग में धर्मपरायण लोगों का उद्धार करने और बुराई का विनाश करने के लिए आते हैं और कलियुग में वे चैतन्य महाप्रभु के करुणावतार में लोगों को यह सिखाने के लिए आए कि भक्ति कैसे करें और भगवान का सर्वोच्च प्रेम कैसे प्राप्त करें। वे स्वयं कृष्ण के अलावा अन्य नहीं हैं, इसका प्रमाण श्रीमद्भागवतम, नरसिंह पुराण, गरुड़ पुराण, पद्म पुराण, नारद पुराण और कई अन्य शास्त्रों में दिया गया है।
श्री चैतन्य महाप्रभु का इस धरा पर आविर्भाव 27 फरवरी 1486 को पूर्णिमा की रात्रि को चंद्रग्रहण में पश्चिम बंगाल के नवद्वीप मायापुर धाम में हुआ था। उन्होंने शचि माता को अपनी माँ और जगन्नाथ मिश्र को अपने पिता के रूप में चुना। कृष्ण के श्याम रंग के विपरीत इनका वर्ण पिघले हुए सोने के समान था। महाप्रभु के अवतारित होने के कई कारण हैं, लेकिन दो मुख्य कारण हैं : पहला, कृष्ण जानना चाहते थे कि राधा को कृष्ण से प्रेम करने और उनकी सेवा करने में कितना आनंद मिलता है, इसलिए उन्होंने राधा रानी के रंग को धारण किया जोकि पिघले हुए सोने के समान है और राधा रानी के समान ही कृष्ण की सेवा करने के मनोभावों को ग्रहण किया।
दूसरा कारण यह है कि श्रीमद्भगवद्गीता में कृष्ण ने अर्जुन के माध्यम से जनसाधारण को यह उपदेश दिया कि वे सभी प्रकार के धर्मों को त्याग कर उनकी शरण में आए, लेकिन जब श्रीकृष्ण कलियुग में चैतन्य महाप्रभु के रूप में आये तो उन्होंने सिखाया कि शरणागत किस प्रकार होना चाहिए।
महाप्रभु स्वयं कृष्ण हैं उन्होंने स्वयं को कृष्ण के भक्त के रूप में चित्रित किया और पूरी दुनिया को सिखाया कि कृष्ण की पूजा कैसे की जाए। उन्होंने इस कलियुग में हरिनाम संकीर्तन “हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम राम राम राम हरे हरे” का प्रचार-प्रसार किया और इस के द्वारा पूरे विश्व को कृष्ण की प्रेमामयी भक्ति से सराबोर कर दिया। उन्होंने स्वतंत्र रूप से सभी को कृष्ण प्रेम वितरित किया और इसलिए उन्हें कृष्ण की तुलना में महावदान्याय या अधिक दयालु कहा जाता है। इसलिए श्रील ए.सी. भक्तिवेदांत श्रील प्रभुपाद संस्थापकाचार्य ने इस्कॉन के सभी मंदिरों में भगवान चैतन्य की पूजा पर विशेष बल दिया।
मंदिर के अध्यक्ष गोपीश्वर दास का यह कहना है कि “हम सभी कृष्ण अवतारों के प्रकट होने का दिन मनाते हैं, विशेष रूप से कृष्ण के इस अवतार को, जो हमें भगवान का प्यार प्रदान करते हैं। वह किसी भी जाति या रंगभेद को नहीं देखते हुए, सभी को कृष्णप्रेम प्राप्त करने का सबसे सुखद व सरल मार्ग गायन, नृत्य और प्रसादम् द्वारा प्रदान करते हैं। यह बहुत आसान और व्यावहारिक है, पूरी दुनिया इसमें शामिल हो सकती है। सुबह से ही बहुत से भक्त उत्सव में शामिल होने के लिए आए। भगवान को अपने जीवन में लाने से ही शांति और खुशी आ सकती है।”
इसलिए इस दिन सुबह 4.30 बजे मंगल आरती, कीर्तन, प्रवचन, दोपहर 3 बजे सराय मार्किट से इस्कॉन मंदिर सेक्टर 37 तक ‘गौर निताई पालकी व हरिनाम संकीर्तन यात्रा’ निकाली गई। प्रभु श्री गौर निताई ने रास्ते में सभी को आशीर्वाद प्रदान किया। फिर सायं 5.30 बजे विभिन्न रसों, दूध और अनेक शुद्ध वस्तुओं से भगवान का अभिषेक किया गया और फिर सभी भक्तों को स्वादिष्ट प्रसाद वितरण किया गया। इन सभी कार्यक्रमों की यूट्यूब पर ऑनलाइन स्ट्रीमिंग भी उपलब्ध थी।