विदेश मंत्री बोले- इंदिरा गांधी ने मेरे पिता को हटाया: कहा- वे बहुत ईमानदार थे और शायद समस्या यही थी

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक इंटरव्यू में इंदिरा और राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते अपने पिता के साथ हुई नाइंसाफी पर पहली बार बात की। जयशंकर ने कहा- मेरे पिता डॉ. के सुब्रमण्यम कैबिनेट सेक्रेटरी थे, लेकिन 1980 में जब इंदिरा गांधी दोबारा चुनकर सत्ता में आईं, तो सबसे पहले उन्हें पद से हटा दिया। मेरे पिता बहुत ईमानदार शख्स थे और शायद समस्या यही थी। वह उसके बाद कभी सेक्रेटरी नहीं बने। राजीव गांधी के कार्यकाल में भी मेरे पिता से जूनियर अधिकारी को कैबिनेट सेक्रेटरी बनाया गया।

न्यूज एजेंसी ANI को दिए इंटरव्यू में जयशंकर ने परिवार, नरेंद्र मोदी से पहली मुलाकात, ब्यूरोक्रेसी से राजनीति तक के सफर समेत कई बड़े मुद्दों पर खुलकर बात की। उन्होंने प्रधानमंत्री पर सवाल उठाने वाले विदेशी मीडिया, कांग्रेस पार्टी, BBC की विवादित डॉक्यूमेंट्री, अमेरिकी बिजनेसमैन जॉर्ज सोरोस के बयानों की टाइमिंग पर भी सवाल उठाया। जयशंकर का इंटरव्यू सिलसिलेवार पढ़ें…

1. ध्यान से सुनिएगा मैं CHINA का नाम ले रहा हूं
चीन के मुद्दे पर राहुल गांधी और कांग्रेस के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा- हम पर आरोप लगता है कि हम चीन से डरते हैं, उसका नाम भी नहीं लेते हैं। मैं बता दूं कि हम चीन से नहीं डरते। अगर हम डरते हैं तो भारतीय सेना को चीन बॉर्डर पर किसने भेजा? ये सेना राहुल गांधी ने नहीं भेजी, नरेंद्र मोदी ने भेजी है।

जयशंकर ने कहा- कांग्रेस और विपक्षी पार्टियां आरोप लगाती हैं कि लद्दाख में पैंगोंग झील के पास चीन ब्रिज बना रहा है। मैं आपको बता दूं कि यह इलाका 1962 से चीन के अवैध कब्जे में है। इस वक्त भारत के इतिहास का सबसे बड़ा पीस टाइम डिप्लॉयमेंट चीन बॉर्डर पर तैनात है। और प्लीज आप इस बात को नोट कीजिए… मैंने चीन कहा… CHINA…।

2. अगर चीन के मामले में राहुल मुझसे ज्यादा जानते हैं, तो उन्हें सुनने को तैयार हूं
जयशंकर ने कहा कि कांग्रेस आरोप लगाती है कि हम चीन के प्रति उदार हैं, लेकिन ये सच नहीं है। हम बड़े खर्च पर और बड़ी कोशिशों के साथ चीन बॉर्डर पर सेना को तैनात किए हुए हैं। इस सरकार के तहत हमने बॉर्डर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने के लिए अपना खर्च 5 गुना बढ़ा दिया है। अब आप बताइए क्या इसे चीन के प्रति उदार होना या या बचाव की भूमिका में आना कहेंगे? आप देखिए कौन सच बता रहा है, चीजें जैसी हैं उन्हें वैसा ही दिखा रहा है और कौन इतिहास के साथ खेल रहा है।

जब उनसे राहुल गांधी के बयान को लेकर सवाल पूछा गया जिसमें उन्होंने कहा था एस जयशंकर को विदेश नीति के बारे में ज्यादा नहीं पता और उन्हें कुछ चीजें सीखने की जरूरत है, तो जयशंकर ने कहा कि अगर चीन के मामले में राहुल के पास बेहतर ज्ञान और बुद्धिमत्ता है तो मैं उनकी बात सुनने को तैयार हूं।

3. 1984 में दिल्ली में जो हुआ, उस पर डॉक्यूमेंट्री क्यों नहीं बनी
BBC की डॉक्यूमेंट्री को लेकर जयशंककर ने कहा कि आजकल विदेशी मीडिया और विदेशी ताकतें पीएम मोदी को टारगेट कर रही हैं। एक कहावत है- वॉर बाय अदर मीन्स, यानी युद्ध छेड़ने के दूसरे उपाय। ऐसे ही यहां पॉलिटिक्स बाय अदर मीन्स यानी दूसरे उपायों से पॉलिटिक्स की जा रही है।

जयशंकर बोले- आप सोचिए अचानक क्यों इतनी सारी रिपोर्ट्स आ रही हैं, इतनी बातें की जा रही हैं, ये सब पहले क्यों नहीं हो रहा था। अगर आपको डॉक्यूमेंट्री बनाने का शौक है तो दिल्ली में 1984 में बहुत कुछ हुआ। हमें उस घटना पर डॉक्यूमेंट्री देखने को क्यों नहीं मिली।

4. लंदन और न्यूयॉर्क में चुनावी मौसम आ गया है
विदेश मंत्री से पूछा गया कि हाल ही में अमेरिकी बिजनेसमैन जॉर्ज सोरोस ने पीएम मोदी को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया था, भाजपा इसे साजिश बता रही है। इस पर जयशंकर ने कहा कि ये सब कुछ साजिश के तहत किया जा रहा है। BBC की डॉक्यूमेंट्री और जॉर्ज सोरोस के बयान की टाइमिंग कोई संयोग नहीं है। इसका सीधा मतलब ये है कि भारत में चुनावी मौसम शुरू हुआ हो या नहीं, लंदन और न्यूयॉर्क में हो चुका है।

सोरोस ने पिछले दिनों पीएम नरेंद्र मोदी के बारे में कहा था कि वे लोकतंत्रिक देश के नेता हैं, लेकिन खुद लोकतांत्रिक नहीं हैं। वो मुसलमानों के साथ हिंसा कर तेजी से बड़े नेता बने हैं। इस पर जयशंकर ने जवाब दिया था कि अमेरिका के बिलेनियर कारोबारी जॉर्ज सोरोस बूढ़े, अमीर, जिद्दी और खतरनाक हैं।

5. पाकिस्तान में जो हो रहा है, उससे हमारा कोई लेना-देना नहीं है
उनसे पूछा गया कि पाकिस्तान की आर्थिक हालत बदतर हो गई है, इसका भारत पर क्या असर पड़ सकता है। उन्होंने जवाब दिया कि पाकिस्तान का भविष्य उसके अपने एक्शन और चॉइस से तय होगा। कोई भी ऐसी हालात में यूं ही नहीं पहुंच जाता है। यह जानना उनका काम है। फिलहाल पाकिस्तान के साथ हमारा संबंध ऐसा है जिसमें उसके साथ जो हो रहा है, उससे हमारा कोई भी लेना-देना नहीं है।

6. मेरे पिता पहले सेक्रेटरी, जिन्हें इंदिरा गांधी ने पद से हटाया
जयशंकर ने बताया-मेरे पिता के. सुब्रमण्यम ब्यूरोक्रेट थे। वे जनता सरकार में डिफेंस प्रोडक्ट के सेक्रेटरी थे। 1980 में जब इंदिरा गांधी दोबारा प्रधानमंत्री बनीं, तो मेरे पिता पहले सेक्रेटरी थे, जिन्हें पद से हटाया गया। लोगों का मानना था कि वे बहुत काबिल इंसान हैं, बहुत जानकार हैं और ईमानदार व्यक्ति हैं, हो सकता है यही वजह बनी कि उन्हें हटा दिया गया।

वजह जो भी हो, मैं इतना जानता हूं कि उन्होंने अपनी आंखों के सामने ब्यूरोक्रेसी में अपना करियर रुकते हुए देखा। फिर वे कभी सेक्रेटरी नहीं बन पाए। राजीव गांधी की सरकार में उनके जूनियर को कैबिनेट सेक्रेटरी बना दिया गया। इस बारे में हम लोग कभी बात नहीं करते थे, लेकिन ये बात उनके अंदर दबी रही। जब मेरे बड़े भाई सेक्रेटरी बने तो उन्हें बेहद गर्व हुआ। 2011 में उनकी मृत्यु हो गई। मैं उसके बाद सेक्रेटरी बन पाया।

7. पहली मुलाकात में नरेंद्र मोदी ने मुझे बहुत प्रभावित किया था
जयशंकर ने बताया कि मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहली बार 2011 में बीजिंग में मिला था। तब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे। यहीं से हमारा साथ शुरू हुआ। पहली मुलाकात में उन्होंने मुझ पर गहरी छाप छोड़ी। मैं सिंगापुर और चेक रिपब्लिक में भारत का एंबेसडररह चुका था और बीजिंग में एंबेसडर के तौर पर यह मेरा तीसरा टर्म था। मैंने कई मुख्यमंत्रियों को देखा था, लेकिन उनके जैसा कोई नहीं देखा था जो इतनी तैयारी के साथ आया हो, इतना गंभीर हो और इतना दिलचस्प व्यक्तित्व हो।

जब बीजिंग में हम मिले तो बिजनेस ब्रीफिंग के बाद उन्होंने मुझे अलग बुलाकर कहा कि हमारी सरकार का चीन को लेकर अभी क्या स्टैंड है ये आप मुझे इसके डिप्लोमैटिक पॉइंट्स भी समझा दीजिए। मैं भले ही दूसरी पार्टी से हूं लेकिन चीन जैसे देश में ऐसा कुछ नहीं कहना चाहता जो हमारी सरकार की बात से अलग हो। ये मेरे लिए हैरानी की बात थी क्योंकि इससे पहले किसी मुख्यमंत्री ने मुझसे ये नहीं पूछा था। उन्होंने मुझसे ये भी कहा कि बैठक के दौरान अगर मुझे लगे कि कुछ गलत है तो मैं उन्हें इशारा करके बताऊं। उनकी इन बातों ने मुझे प्रभावित किया। इसके बाद उनके प्रधानमंत्री बनने तक हमारी मुलाकात नहीं हुई।

अब भी वे ऐसे ही हैं। वे लोगों के आइडिया और विचारों को लेकर बहुत खुले हुए हैं। वे चीजों को लेकर एकदम क्लीयर रहते हैं। तुर्की में जो भूकंप आया, उसके थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझसे पूछा कि हम क्या कर सकते हैं, मैंने उन्हें कुछ पॉइंटर्स दिए। उन्होंने कहा आप जाइए मदद कीजिए, NDRF और सेना से बात कीजिए। आपको बता दूं भूकंप आने के 48 घंटे से भी कम समय में हम तुर्की में मदद पहुंचा रहे थे।

8. कोरोना के दौरान हमारे ऑपरेशन वैक्सीन मैत्री ने दुनिया को राहत पहुंचाई
जयशंकर बोले कि बीते कुछ सालों में हमने कई देशों में कई सफल मदद अभियन चलाए हैं। लेकिन ऐसा अभियान जिसने एक साथ कई देशों में लोगों को मदद पहुंचाई, वो है कोरोना के दौरान वैक्सीन मैत्री अभियान। देश में कुछ लोगों ने इस अभियान को भी गलत ठहराया। उन्होंने कहा कि पहले अपने देश में सभी को वैक्सीन मिलनी चाहिए, तब दूसरे देशों को वैक्सीन भेजी जाए।

ये वो लोग थे जो हम काम में कमी निकाल लेते हैं। कुछ करो तो कहते हैं कि ये क्यों किया, कुछ न करो तो कहते हैं कि ये क्यों नहीं किया। लेकिन एक बड़े स्तर पर लोगों ने ये माना कि हम सही कर रहे हैं। जब डेल्टा वेव आई थी तो हालात बहुत खराब थे, लेकिन हमारी मदद का असर ये हुआ कि अमेरिका जैसे देशों ने कहा- भारत ने हमारी मदद की थी, हम भारत की मदद करेंगे।

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