हरियाणा में पहाड़ों जैसा नजारा, खेत में जमी पाले की सफेद चादर, किसानों की बढ़ी चिंता
बता दें कि चरखी दादरी एक कृषि बाहुल्य क्षेत्र है और यहां की रेतीली मिट्टी और सिंचाई के सीमित साधन होने के कारण किसानों को दूसरे क्षेत्रों की अपेक्षा यहां कृषि कार्य करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। रबी सीजन के दौरान किसानों द्वारा मुख्यत: गेहूं सरसों की खेती की जाती है। इसके अलावा किसानों द्वारा आलू, गाजर, गोभी, मटर, पालक, मेथी आदि सब्जी फसलें भी उगाई गई हैं। किसान सतीश कुमार, सुरेंद्र, सुरेश, राजकुमार, घनश्याम, राजपाल, ओमबीर आदि ने कहा कि सामान्यत: फरवरी माह में पाला देखने को मिलता है, लेकिन इस जनवरी मध्य में ही पाला गिरने से फसलों को भारी नुकसान होगा। उन्होंने बताया कि सरसों की फसल वर्तमान में फूल व फली बनने की स्टेज पर है और पाले से वह इतनी अधिक प्रभावित हुई है कि एक ही दिन में सरसों के डंढल का रंग काला पड़ गया है।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के कृषि विशेषज्ञ डा. चंद्रभान श्योराण ने बताया कि पाला गिरने से फसलों की ग्र्रोथ रुक जाएगी जिससे उन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। पाले के कारण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है जिसका सीधा असर फसलों पर पड़ना स्वाभाविक है। डा. श्योराण ने कहा कि सबसे अधिक नुकसान पाले के कारण सरसों की फसल में हैं क्योंकि मौजूदा समय में सरसों में बनी फली में दाना बनना शुरू हो चुका है लेकिन पाले के कारण फली में दाना सैट नहीं हो पाएगा जिसका प्रतिकूल असर फसल उत्पादन पर पड़ेगा।