SC ने 4:1 के बहुमत से नोटबंदी को सही ठहराया:एक जज बोलीं- ये ताकत का इस्तेमाल; जिस तरह इसे लागू किया, वो कानूनन सही नहीं
केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है। पांच जजों की संविधान पीठ ने सोमवार को यह फैसला सुनाया। बेंच ने कहा कि 500 और 1000 के नोट बंद करने की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। बेंच ने यह भी कहा कि आर्थिक फैसले को पलटा नहीं जा सकता। संविधान पीठ ने यह फैसला चार-एक के बहुमत से सुनाया।
पांच जजों की संविधान पीठ में जस्टिस एस अब्दुल नजीर, बीआर गवई, एएस बोपन्ना, वी रामसुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल थे। इनमें से जस्टिस बीवी नागरत्ना ने बाकी चार जजों की राय से अलग फैसला लिखा। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का फैसला गैरकानूनी था। इसे गजट नोटिफिकेशन की जगह कानून के जरिए लिया जाना था। हालांकि उन्होंने कहा कि इसका सरकार के पुराने फैसले पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
जस्टिस नागरत्ना बोलीं- नोटबंदी संसद के जरिए लागू करनी थी
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा- नोटबंदी से पहले सरकार और RBI के बीच बातचीत हुई थी। इससे यह माना जा सकता है कि नोटबंदी सरकार का मनमाना फैसला नहीं था। संविधान पीठ ने सरकार के फैसले को सही तो ठहराया, लेकिन बेंच में शामिल जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इसके लिए अपनाई गई प्रोसेस को गलत ठहराया।
सरकार ने महज 4 घंटे में पुराने नोट अवैध किए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को देश के नाम संदेश में आधी रात से 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट बंद करने का ऐलान किया था। यानी प्रधानमंत्री की घोषणा के 4 घंटे बाद ही ये पुराने नोट चलन से बाहर हो गए थे।
विरोध में दलील- कानून का गलत इस्तेमाल हुआ
सरकार की तरफ से आनन-फानन में सुनाए गए इस फैसले के खिलाफ देश के अलग-अलग हाईकोर्ट्स में कुल 58 याचिकाएं दाखिल हुई थीं। इन याचिकाओं में कहा गया था कि सरकार ने RBI कानून 1934 की धारा 26(2) का इस्तेमाल करने में गलती की है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी की सुनवाई एक साथ करने का आदेश दिया।
सरकार को करेंसी रद्द करने का अधिकार नहीं
याचिकाकर्ताओं की दलील थी कि भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 26(2) किसी विशेष मूल्यवर्ग के करेंसी नोटों को पूरी तरह से रद्द करने के लिए सरकार को अधिकृत नहीं करती है। यह केंद्र को एक खास सीरीज के करेंसी नोटों को रद्द करने का अधिकार देती है, न कि संपूर्ण करेंसी नोटों को।
सरकार खुद फैसला नहीं ले सकती, RBI की सलाह जरूरी
मामले की सुनवाई के दौरान पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदम्बरम ने दलील दी थी कि केंद्र सरकार खुद ऐसा कोई फैसला नहीं ले सकती और ऐसा केवल RBI के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिशों पर किया जा सकता है।
केंद्र का जवाब- RBI की सलाह पर लिया फैसला
इस मामले में केंद्र सरकार ने कहा था कि नोटबंदी का फैसला रिजर्व बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल की सिफारिश पर ही लिया गया था। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा था- नोटबंदी सरकार का बिना सोचा-समझा कदम नहीं था, बल्कि आर्थिक नीति का हिस्सा था। उन्होंने कहा था कि RBI और केंद्र सरकार एक-दूसरे के साथ सलाह-मशविरा करते हुए काम करते हैं।
RBI ने कहा- कानून के मुताबिक हुई नोटबंदी
इधर, RBI ने भी कोर्ट को बताया था कि सेंट्रल बोर्ड की मीटिंग के दौरान RBI जनरल रेगुलेशंस, 1949 की कोरम से जुड़ी शर्तों का पालन किया गया था। इस मीटिंग में RBI गवर्नर के साथ-साथ दो डिप्टी गवर्नर और RBI एक्ट के तहत नॉमिनेटेड पांच डायरेक्टर शामिल हुए थे।